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वकीलों के हड़ताल से वादियों को राहत से वंचित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

गाजियाबाद की जिला अदालत में वकीलों की हड़ताल के कारण वादी को राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था, जिसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे हड़तालों के कारण वादी केवल उच्च न्यायालय में आवेदन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं, जो न्याय प्रणाली के लिए चिंता का विषय है. 

Written By Satyam Kumar | Published : December 15, 2024 3:32 PM IST

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों के हड़ताल के कारण वादियों को न्याय से वंचित किए जाने पर चिंता जाहिर की. अदालत ने जोर देकर कहा कि वकीलों के हड़ताल के बावजूद न्यायिक कार्य जारी रहना चाहिए, जजों और न्यायिक अधिकारियों को अपना कार्य करना चाहिए, ताकि अगर वादी चाहे, तो अपने मामले पर बहस कर सकें. अदालत ने जिला प्रशासन से वादियों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है. बता दें  कि ये मामला एक वादी को गाजियाबाद कोर्ट में हड़ताल के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट में राहत पाने के लिए जाने से जुड़ा है.

वकीलों के हड़ताल से वादियों को राहत से वंचित नहीं रखा जा सकता: HC

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने कहा कि वादी अपनी शिकायतों के लिए विधि प्रदत राहत उपलब्ध होने के बावजूद वकीलों की हड़ताल के कारण राहत से वंचित हो रहे हैं. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वकीलों की हड़ताल के चलते न्यायिक अधिकारियों और जजों को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. जस्टिस कुमार ने कहा कि यदि वकील हड़ताल पर हैं, तो भी न्यायिक कार्य में बाधा नहीं आनी चाहिए. यह वादियों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है.

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अदालत ने यह भी कहा कि वकीलों के हड़ताल पर होने के बावजूद वादियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने मामलों पर बहस कर सकें. जिला प्रशासन को वादियों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया है, ताकि वे अपने मामलों में न्याय प्राप्त कर सकें.

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क्या है मामला?

इस मामले में गाजियाबाद की जिला अदालत में वकीलों की हड़ताल के कारण वादी को राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था, जिसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे हड़तालों के कारण वादी केवल उच्च न्यायालय में आवेदन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं, जो न्याय प्रणाली के लिए चिंता का विषय है.  कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता के पास यूपी शहरी परिसर किरायेदारी विनियमन अधिनियम, 2021 के तहत अपील दायर करने का विकल्प है.

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वादियों के अधिकारों की रक्षा और न्याय की सुनिश्तचितता पर जोर देकर अदालत ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए निर्देश दिया कि यदि वह किराया न्यायाधिकरण के समक्ष वैधानिक अपील करता है, तो न्यायाधिकरण एक सप्ताह के भीतर स्थगन आवेदन पर आदेश पारित करेगा.