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CJI DY Chandrachud: पूर्व एससीबीए अध्यक्ष की सीजेआई से मांग, कहा-पश्चिम बंगाल के तीन ज्यूडिशियल अफसर की चिट्ठी पर ले स्वत: संज्ञान

पश्चिम बंगाल के तीन न्यायिक अधिकारियों द्वारा जिला जज को लिखे चिट्ठी से जुड़ी है जिसमें उन्होंने दावा किया कि POCSO मामले में कुछ आरोपियों के खिलाफ फैसला सुनाने पर उनके क्वार्टर में घुसपैठ कर बिजली काट दी गई. ऐसा करके संदिग्ध जजों पर अपने पक्ष में फैसला सुनाने के लिए दवाब डाल रहे हैं.

Written By Satyam Kumar | Published : September 12, 2024 1:33 PM IST

Former SCBA President to CJI: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश अग्रवाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ से पश्चिम बंगाल के तीन न्यायिक अधिकारियों द्वारा लिखे गए पत्र के आधार पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की मांग की है. ये मांग पश्चिम बंगाल के तीन न्यायिक अधिकारियों द्वारा जिला जज को लिखे चिट्ठी से जुड़ी है जिसमें उन्होंने दावा किया कि POCSO मामले में कुछ आरोपियों के खिलाफ फैसला सुनाने पर उनके क्वार्टर में घुसपैठ कर बिजली काट दी गई. ऐसा करके संदिग्ध जजों पर अपने पक्ष में फैसला सुनाने के लिए दवाब डाल रहे हैं.

न्यायिक अधिकारियों की चिट्ठी पर CJI ले स्वत: संज्ञान

पश्चिम बंगाल के जज अबासन क्वार्टर में रहने वाले तीन न्यायिक अधिकारियों ने चिट्ठी लिखकर दावा किया कि 9 सितंबर की सुबह उनके क्वार्टर 'जज अबासन' की लाइट काट दी गई थी. चिट्ठी के अनुसार, लाइट काटने का आदेश डायमंड हार्बर जिले के एक पुलिस अधिकारी से मिला, जिसने क्वार्टर के गार्डों को आदेश दिया कि वे दो लोगों को बिजली काटने के लिए जज क्वार्टर के अंदर जाने दे.

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इसी चिट्ठी पर पूर्व अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से घटना पर स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है. आदिश अग्रवाल ने आगे कहा कि न्यायपालिका को न्यायिक अधिकारियों की गंभीर स्थिति को देखते हुए, औपचारिक याचिका की प्रतीक्षा किए बिना, स्वयं ही कानूनी कार्यवाही शुरू करनी चाहिए

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क्या है मामला?

पश्चिम बंगाल के तीन जजों द्वारा जिला न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी में कहा कि यह घटना कुछ POCSO अधिनियम मामलों में उनके द्वारा पारित प्रतिकूल आदेशों से जुड़ी हुई है, जिसमें शामिल कुछ व्यक्तियों ने बदला लेने के लिए ऐसा किया होगा. उन्होंने इस घटना को भविष्य के मामलों में अनुकूल निर्णय देने के लिए उन्हें डराने-धमकाने के लिए किया है. चिट्ठी में अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे अब अपने आधिकारिक क्वार्टर में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं.

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इससे पहले केंद्रीय शिक्षा और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने भी 11 सितंबर को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र लिखकर इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने इसे पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था का उल्लंघन बताया और सरकार से न्यायिक स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का मांग किया.