यौन अपराधों में भी एससी-एसटी अधिनियम के तहत जमानत कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य: दिल्ली HC
दिल्ली उच्च न्यायालय ने माना कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के अनुसार यौन अपराधों में भी जमानत की सुनवाई की वीडियोग्राफी अनिवार्य है. यौन शोषण मामले में पीड़िता की पहचान को छिपाकर रखने का प्रावधान है, इसलिए अदालत ने रिकार्डिंग में इस बात का ध्यान रखने को कहा है. दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला आरोपी लक्ष्मी नारायण की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिस पर आईपीसी और पोक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस विकास महाजन ने कहा कि अधिनियम की धारा 15ए (10) के प्रावधान अनिवार्य हैं और वर्तमान जमानत कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग करनी होगी. उच्च न्यायालय ने कहा कि एक ओर अधिनियम की धारा 15ए (10) के तहत पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा के लिए जमानत कार्यवाही की रिकॉर्डिंग के प्रावधान और दूसरी ओर आईपीसी की धारा 228ए और पॉक्सो अधिनियम की धारा 23 के बीच में कोई विरोध नहीं है, जिससे यह स्पष्ट है कि विधायिका का इरादा अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी के तहत किए गए यौन अपराधों के संबंध में धारा 15 ए (10) का पालन करना था, जिसमें पीड़ित महिला की पहचान कानून के तहत संरक्षित किए जाने की आवश्यकता है,
उच्च न्यायालय ने आरोपी लक्ष्मी नारायण की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है.
Also Read
- धर्म बदलने के बाद 'दलित व्यक्ति' SC-ST Act के तहत FIR दर्ज नहीं करवा सकते: Andhra Pradesh HC
- पब्लिक प्लेस से अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटाने का मामला, Delhi HC ने सरकार से मांगी कार्रवाई की पूरी जानकारी
- CLAT 2025 के रिजल्ट संबंधी सभी याचिकाओं को Delhi HC में ट्रांसफर करने का निर्देश, SC का अन्य उच्च न्यायालयों से अनुरोध
दिल्ली हाईकोर्ट एक प्रश्न पर विचार कर रही थी कि क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 15 ए (10) के संदर्भ में वर्तमान जमानत कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्ड करना अनिवार्य है, जिसमें एससी-एसटी अधिनियम के साथ-साथ यौन अपराध का मामला भी है.
याचिकाकर्ता ने पुलिस स्टेशन दिल्ली कैंट, दिल्ली में दर्ज आईपीसी की धाराओं 302/304/376/342/506/201/34, पोक्सो एक्ट की धारा 6 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 के तहत एक मामले में धारा 439 सीआरपीसी के तहत नियमित जमानत की मांग करते हुए वर्तमान याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता की धारा 439 सीआरपीसी के तहत दायर इसी तरह की जमानत याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने 8 जून, 2023 को खारिज कर दिया था.