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पांच सालों से चला रहा था फर्जी कोर्ट, खुद 'जज' बनकर लोगों को ठगा, जानें कैसे खुला पोल?

सांकेतिक चित्र (पिक क्रेडिट Freepik)

अहमदाबाद में पिछले पांच सालों से चल रही एक नकली अदालत का खुलासा हुआ है. ठग मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन ने बिना वैध प्राधिकरण के खुद को आधिकारिक जज बताकर लोगों से ठगी की.

Written By Satyam Kumar | Published : October 22, 2024 8:12 AM IST

कुछ दिन पहले की एक घटना है, जहां ठग ने एक व्यक्ति को दो लाख देकर आईपीएस बना दिया. आईपीएस बना व्यक्ति जब थाना में गया, तो पुलिसवालों ने उसे पकड़ा. तब जाकर कहीं बात सच्चाई बाहर आई. ठग ज्योतिषाचार्य होने के दावा कर हाथ देखने के बहाने कुछ पैसे ऐंठ लेते हैं. लेकिन फर्जी बोगस अदालत बनाकर, पिछले पांच सालों से एक ठग जज की एक्टिंग कर रहा था, तड़ातड़ फैसला सुना रहा था. खुद को जज बताने तक की कहानी तो सामान्य बुद्धि वाले लोग भी समझ जाएंगे, लेकिन बोगस अदालत बना लेना, वो पांच साल कार्यवाही भी करना... ये कैसे संभव हैं! तो आइये हम आपको बताते हैं असल कहानी...

पांच सालो से चला रहा था नकली अदालत

अहमदाबाद में एक नकली अदालत का खुलासा हुआ है जो पिछले पांच साल से चल रहा था. इस बात का खुलासा तब हुआ, जब आरोपी ठग, मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन, ने 2019 में एक सरकारी भूमि से संबंधित मामले में अपने ग्राहक के पक्ष में आदेश पारित किया. सिटी कोर्ट के रजिस्ट्रार ने ठग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 170 (लोक सेवक के रूप में किसी पद पर आसीन होने का दिखावा करना) और 419 (छद्मवेश धारण करके धोखाधड़ी करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया गया है

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पुलिस ने बताया कि क्रिश्चियन ने एक वैध न्यायालय द्वारा नियुक्त आधिकारिक मध्यस्थ के रूप में पेश होकर लोगों को ठगता था. क्रिश्चियन के सहायक अदालत के कर्मचारी या वकील के रूप में खड़े होते थे, जिससे यह लगता था कि अदालती कार्यवाही वास्तविक है.

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कैसे हुआ खुलासा?

मामला साल 2019 से जुड़ा है जब सरकारी भूमि के विवाद में ठग क्रिश्चियन ने अपने क्लाइंट के पक्ष में एक आदेश पारित किया था. क्रिश्चियन ने बिना किसी वैध प्राधिकरण के अपने क्लाइंट के सामने दावा किया कि वह सरकार द्वारा 'आधिकारिक मध्यस्थ' के रूप में नियुक्त किया गया है और उसने अपने 'अदालत' में नकली कार्यवाही शुरू की और अपने क्लाइंट के पक्ष में एक आदेश पारित किया.

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उसके बाद अपने फैसले को सही साबित करने के लिए उसने एक वकील के जरिए इन कागजों को लगाते हुए अदालत में मुकदमा दर्ज करवाया. सिटी रजिस्ट्रार को आर्डर कॉपी पर शक हुआ. रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई ने पाया कि क्रिश्चियन न तो एक मध्यस्थ हैं और न ही ट्रिब्यूनल का आदेश वास्तविक है, जिस पर कार्रवाई करते हुए उन्होंने FIR दर्ज करवाया.