'न्यायपालिका पर परिवारिक वंशवाद के आरोप दूसरे वकीलों का मनोबल घटाती है', अभिषेक सिंघवी ने SC कॉलेजियम का किया समर्थन
कांग्रेस नेता और सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी (Congress Leader Abhishek Manu Singhvi) ने उच्च न्यायालयों में जजों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) के प्रस्ताव का समर्थन किया है. सीनियर एडवोकेट ने कहा है कि यह प्रस्ताव जल्द ही लागू होना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में ऐसी न्यायिक नियुक्तियां न्यायपालिका के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर रही हैं. सिंघवी ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए बताया कि न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है.
सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव से न्यायिक नियुक्तियों की निष्पक्षता बढ़ेगी: सिंघवी
सिंघवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में विचाराधीन दोनों प्रस्ताव सही हैं और सुधारात्मक प्रतीत होते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि न्यायिक नियुक्तियों की सच्चाई यह है कि वे अस्पष्ट हैं और उन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करतीं जिनकी मूलतः कल्पना की गई थी. यह स्पष्ट करता है कि न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता है.
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न्यायपालिका में पारिवारिक वंशवाद की प्रथा होगी समाप्त: सिंघवी
सिंघवी ने कहा कि न्यायिक नियुक्तियों में पारिवारिक वंशवाद, अंकल जज, और एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने की प्रवृत्तियां न केवल अन्य वकीलों का मनोबल गिराती हैं, बल्कि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को भी प्रभावित करती हैं. सीनियर वकील ने आगे कहा कि इस प्रकार की नियुक्तियां से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है. यह स्थिति न्यायिक प्रणाली को कमजोर करती है और आम जनता के विश्वास को प्रभावित करती है.
समाचार एजेंसी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ प्रस्ताव लाने का विचार कर रहा है. यदि इस प्रस्ताव पर अमल किया गया तो ऐसी नियुक्तियों में अधिक समावेशिता आएगी. इससे यह धारणा समाप्त होगी कि न्यायिक नियुक्तियों में वंश का महत्व योग्यता से अधिक है.
(खबर PTI इनपुट से है)