Power of Attorney क्या है, और क्या है इससे संबंधित कानून?
इसके माध्यम से प्रॉपर्टी का मालिक या कोई व्यक्ति अपनी शक्तियों का ट्रांसफर किसी दूसरे व्यक्ति को करता है. ताकि वह उसके गैरमौजूदगी में संपत्ति से संबंधित जरूरी फैसले कर सके.
इसके माध्यम से प्रॉपर्टी का मालिक या कोई व्यक्ति अपनी शक्तियों का ट्रांसफर किसी दूसरे व्यक्ति को करता है. ताकि वह उसके गैरमौजूदगी में संपत्ति से संबंधित जरूरी फैसले कर सके.
संविधान के 39वे संशोधन को इंदिरा नेहरू गांधी बनाम राज नारायण (AIR 1975 SC 2299) मामले में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. जब इस पर सुनवाई हुई तो कोर्ट ने केसवानंद भारती बनाम केरल सरकार मामले में प्रतिपादित मूल संरचना सिद्धांत का उपयोग किया और 7 नवंबर 1975 को इस संशोधन को निरस्त कर दिया .
रियल एस्टेट डेवलपर को प्रोजेक्ट फंड का लगभग 70% एक अलग Escrow Account (यह एक बैंकिंग खाता है, जहां लेनदेन के लिए कुछ शर्तों को पूरा करने तक परिसंपत्ति का मूल्य रखा जाता है) में ट्रांसफर करना होगा, जिसका उपयोग वह केवल निर्माण उद्देश्यों के लिए कर सकता है
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस बात पर कोई रोक नहीं है कि एक बार किसी व्यक्ति को डिफ़ॉल्ट जमानत पर रिहा कर दिया गया है, तो उसे मेरिट और जांच में सहयोग नहीं करने जैसे आधारों पर उसकी जमानत को रद्द नहीं किया जा सकता है.
भारतीय न्यायपालिका और उसके द्वारा सुनाए गए सबसे बड़े फैसलों की जब भी बात होगी, तो उसमें केसवानंद भारती बनाम स्टेट ऑफ़ केरला ( Kesavananda Bharti vs State of Kerla case ) का मामला सबसे पहले नंबर पर आएगा। ये केस एक ऐसा केस हैं,जिसकी नजीर आज तक दी जाती है, जबकि इस मामले में कोर्ट की सुनवाई को लगभग 50 साल होने को हैं.
जहां एक ओर सर्वोच्च न्यायालय केवल मौलिक अधिकारों के हनन की स्थिति में ही रिट जारी कर सकता है, वहीं उच्च न्यायालय को किसी अन्य उद्देश्य के लिये भी रिट जारी करने का अधिकार है.
ऐसे मामलों में जहां अधिकार का उल्लंघन नहीं होता है, आवेदन के संबंध में जनहित का प्रश्न उठना चाहिए.
हमारे देश में कुछ कानून ऐसे हैं जिसके तहत गिरफ्तारी हो जाने पर जमानत मिलना बहुत कठिन होता है यहां तक कि गिरफ्तारी के वक्त उसकी वजह भी नहीं बताई जाती है.
ऐसा व्यक्ति, अधिकारी द्वारा मामले से संबंधित पूछे गए सभी सवालों का सही जवाब देने के लिए बाध्य होगा. भले ही उन सवालों के जवाब देने पर वो शक के दायरे में ही क्यों ना आ जाए.
CERSAI को ऐसे मामलों में धोखाधड़ी की जांच के लिए बनाया गया है, जहां एक ही संपत्ति को संपार्श्विक (collateral) के रूप में इस्तेमाल करके अलग-अलग बैंकों से कई ऋण लिए गए हो.
खरीदार और बिल्डर के बीच बिल्डर खरीदार एग्रीमेंट (Builder Buyer Agreement) एक ऐसी ही प्रक्रिया है। यह एकमात्र दस्तावेज है जो खरीदार के अधिकारों की रक्षा करता है और इसलिए लोगों को हर चीज के बारे में स्पष्ट होने के साथ इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए. यह किसी भी घर खरीदार के लिए सबसे महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेजों में से एक है.
जब भी किसी को अपना मकान या कोई भी संपत्ति रेंट पर दें तो किरायेदार की पूरी जानकारी जरुर खंगाल लें ताकि भविष्य में होने वाली परेशानी से आप बच सकें.
एक पुलिस अधिकारी जो वारंट को निष्पादित करता है, वह गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति को इसकी सूचना देगा और यदि वह मांग करता है, तो वह उसे वारंट दिखाएगा.
अक्सर लोग सिर्फ बदला लेने के लिए झूठे आरोप लगाते हैं और किसी के खिलाफ झूठा मामला शुरू कर देते हैं. यह कानून का पूरी तरह से दुरुपयोग है जो कुछ लोगो द्वारा किया जाता है लेकिन कानून में ऐसे प्रावधान हैं जिनका इस्तेमाल ऐसे लोगों के खिलाफ किया जा सकता है.
ट्रायल इन एब्सेंस एक मुकदमे का संचालन है जब अभियुक्त जानबूझकर अनुपस्थित है और उसने परीक्षण में उपस्थित होने के अपने अधिकार को आत्मसमर्पण कर दिया है. अभियुक्त के फरार होने के कारण आपराधिक मामलों की सुनवाई प्रभावित होती है क्योंकि कार्यवाही में उपस्थित होना अभियुक्त का अधिकार है न कि कर्तव्य.
पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी (Officer in Charge) पुलिस रिपोर्ट पर उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सशक्त मजिस्ट्रेट को राज्य सरकार द्वारा विहित प्रारूप में एक रिपोर्ट भेजेगा.
अगर आपसे पूछा जाए कि Banking sector में वकीलों का क्या काम होता है ? तो शायद आप में से ज्यादातर लोग यही कहेंगें, बैंक के लिए कानूनी सलाह देना और कोर्ट में बैंक का प्रतिनिधित्व करना. लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं है. Lawyers के लिए बैंकिंग क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं है. इसमें बैंक से लेकर ग्राहकों तक को सुविधाएं प्रदान करने से जुड़े काम है.
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 188 संबंधित पक्षों के बीच होने वाले लेन-देन से संबंधित है. लेनदेन के लिए पार्टियों के बीच पारदर्शिता और जवाबदेही बनाने के लिए इसे पेश किया गया था. यह सार्वजनिक और निजी दोनों कंपनियों पर लागू होता है. किसी एक पक्ष द्वारा संबंधित दूसरे पक्ष से लेनदेन में प्रवेश करने का निर्णय लेने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करना आवश्यक है.