Hate Speech क्या है, कानून के तहत इस अपराध की क्या है सज़ा?
वहीं अगर ऐसे अपराध पूजा के स्थान, या धार्मिक पूजा या धार्मिक समारोहों में लगे एक सभा में किया जाता है तो यह सजा पांच साल भी हो सकती है.
वहीं अगर ऐसे अपराध पूजा के स्थान, या धार्मिक पूजा या धार्मिक समारोहों में लगे एक सभा में किया जाता है तो यह सजा पांच साल भी हो सकती है.
व्यापार में हो रहे अपग्रेडेशन के साथ, दस्तावेजों के निष्पादन (Execution) का तरीका भी विकसित हुआ है. बाध्यकारी दस्तावेजों को निष्पादित करने के सुविधाजनक और पारदर्शी तरीकों का सहारा लेने की आवश्यकता थी और इस प्रकार, ई-अनुबंधों और ई-हस्ताक्षरों का इस्तेमाल अधिक होने लगा.
देश की जांच एजेंसियों को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए कई कानूनी शक्तियों को दिया गया है जिसका इस्तेमाल कर वो अपराध और अपराधियों को नियंत्रित करते हैं. सीआरपीसी के तहत भी इन्हे कुछ खास शक्तियां दी गई हैं.
पहले सिर्फ जाति के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था थी लेकिन इस संशोधन के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की गई.
जेल को कारागार और कारागृह भी कहा जाता है. यह एक ऐसा स्थान या भवन होता है, जहां बंदी को कानूनी रूप से कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है. हर जेल के अपने नियम होते हैं जिसका पालन हर कैदी को करना पड़ता है.
किसी भी मामले को शांति से भी बैठ कर सुलझाया जा सकता है लेकिन लालच ऐसा करने से रोकती है इसलिए कई बार जब बात पैतृक संपत्ति के बंटवारे की बात आती है तब कई घरों में खून खराबा भी हो जाता है.
कन्वेयंस डीड एक व्यापक शब्द है जिसे किसी संपत्ति के स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी भी प्रकार के विलेख के लिए संदर्भित किया जा सकता है.
किसी भी व्यापार में एग्रीमेंट का अहम किरदार होता है. जब हम किसी को अपना मकान रेंट पर देते हैं या किसी से लेते है तब अलग- अलग प्रकार के कानूनी समझौते किये जाते हैं ताकि भविष्य में कोई परेशानी ना हो.
पुलिस अपने शक के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है वह भी बिना किसी वारंट के ताकि आने वाले समय में उस व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले अपराध को रोका जा सके.
कई बार लोग बिना सोचे समझे ही कुछ भी पोस्ट कर देते हैं लेकिन ऐसा करना भारी पड़ सकता है, खास करके तब किसी का पोस्ट समाज पर बुरा प्रभाव डालता है.
हमारे देश का संविधान हर किसी को एक समान नजरों से देखता है और सबको एक दूसरे का सम्मान करना भी सिखाता है. साथ ही अगर कोई किसी के साथ भेदभाव करता है तो वह दंडनीय अपराध माना जाएगा.
शायद ही ऐसा दिन होगा जब अखबार में बलात्कार की कोई खबर ना आए. ऐसे अपराध पर लगाम लगाने के लिए ही देश के कानून को सख्त कर दिया गया है.
कानून समाज की सुरक्षा के लिए है, उसे हाथ में लेने का अधिकार उनके पास भी नहीं है जो लोग इसे लागू करने में लगे होते हैं.
कई बार आपने देखा होगा कि मकान मालिक किरायेदार को छोटी - छोटी बातों के लिए परेशान करता है, आलम ये आ जाता है कि एक दिन उन्हे अचानक ही घर खाली करने को कहा जाता है क्योंकि उन्हें लगता है कि वो मकान मालिक हैं तो कुछ भी कर सकते हैं लेकिन यह कानून के नजर में गलत माना जाता है.
एक आज़ाद देश सही मायने में तभी आज़ाद है जब वहां लोगों को बोलने की स्वतंत्रता हो. भारत के संविधान का अनुच्छेद 19 (A ) देश के नागरिकों को बोलने की स्वतंत्रता प्रदान करता है. हालाँकि संविधान के अनुछेद 19 (2) में उन परिस्थितियों का भी जिक्र किया गया है जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सरकार छीन सकती है.
खाने में नमक कम हो तो मार पीट, पत्नी ज्यादा पढ़ी लिखी है तो नौकरी करने पर रोक, दहेज के नाम पर हत्या आदि इस तरह के अपराध लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.
कई बार आपने देखा होगा कि किसी वस्तु का दाम बहुत कम हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह किस कानून के तहत किया जाता है.
संविधान के अनुच्छेद 20(2) के अनुसार किसी भी व्यक्ति पर दो बार मुकदमा नहीं चलाया जा सकता और न ही उसे दंडित किया जा सकता है. अगर कोई ऐसा करता है तो इसके कारण अदालत का वक्त और पैसा दोनों बर्बाद हो सकता है.