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बिना सजा के भी कर्मचारी को 'ग्रैच्युटी' देने से इंकार कर सकती है कंपनी, SC के फैसले की वजह भी जान लीजिए

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत, ग्रेच्युटी की जब्ती के लिए आपराधिक सजा की आवश्यकता नहीं है, यदि गलती, नैतिक पतन से संबंधित है.

Written By Satyam Kumar Published : February 18, 2025 2:43 PM IST

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कर्मचारी की ग्रैच्युटी

क्या कोई कंपनी अपने पुराने कर्मचारी को निकालते वक्त उसे ग्रैच्युटी देने से इंकार कर सकती है? क्या ऐसा उससे संबंधित मामले में दोष सिद्ध हुए बिना भी उसकी ग्रैच्युटी रखी जा सकती है?

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कर्मचारी के नैतिक मूल्यों का पतन

इस मामले में, कर्मचारी ने अपनी वास्तविक जन्म तिथि को छिपाया था, साथ ही भाड़े कलेक्ट करने में यात्रियों से एकत्रित किराए में हेराफेरी करने के आरोप लगे.

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नैतिक आधार गए निकाले,

इस घटना को नैतिक मूल्यों का पतन पाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कंपनी, किसी कर्मचारी को नैतिक मूल्यों में खामियां पाते हुए निकालती है, तो वह उसके ग्रैच्युटी को जब्त कर सकती है.

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नहीं मिलेगी ग्रैच्युटी

कोर्ट ने कहा कि दंडात्मक प्राधिकरण को यह तय करना होगा कि क्या दुराचार सामान्य परिस्थितियों में नैतिक पतन से संबंधित अपराध का गठन कर सकता है. इसके अलावा, दंडात्मक प्राधिकरण को यह निर्णय लेने का अधिकार है कि ग्रेच्युटी की पूरी राशि जब्त की जाए या केवल आंशिक रूप से.

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कंपनी पर करेगा निर्भर

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कर्मचारी की गलती नैतिक पतन (Moral Turpitude) से संबंधित अपराध है, तो ग्रेच्युटी को पूरी या आंशिक रूप से जब्त किया जा सकता है.

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भुगतान ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भुगतान ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972 (Payment of Gratuity Act, 1972) के तहत ग्रेच्युटी जब्ती के लिए आपराधिक सजा की आवश्यकता नहीं है.

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नैतिक पतन के लिए बर्खास्त

यदि किसी कर्मचारी को नैतिक पतन से संबंधित अपराध के लिए बर्खास्त किया जाता है, तो उसकी ग्रेच्युटी को जब्त की जा सकती है.

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पांच साल की नौकरी के ग्रैच्युटी का अधिकारी

बता दें कि ग्रैच्युटी, जब कोई कर्मचारी किसी कंपनी या संस्था में पांच साल से अधिक समय तक काम करता है, तो वह कंपनी से अतिरिक्त मेहताने के रूप में ग्रैच्युटी पाने का हकदार होता है.