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क्या गवर्नमेंट इक्जाम में शामिल हुए दूसरे छात्रों के मार्क्स RTI करके जान सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया कि सार्वजनिक परीक्षा में अन्य उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों का खुलासा करने के लिए अनुरोध को अस्वीकार नहीं किया जा सकता. अदालत ने कहा कि आरटीआई अधिनियम (RTI Act, 2005) के तहत अंकों का खुलासा लोकहित और चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जरूरी है.

Written By Satyam Kumar Published : February 17, 2025 3:15 PM IST

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दूसरे छात्रों के मार्क्स

कई बार, ऐसा सुनने को मिला है कि सरकारी इक्जाम में कुछ लोगों ने दूसरे छात्रों के मार्क्स को दिखाने को लेकर RTI दायर किया है, लेकिन उनकी मांग निजता के आधार पर खारिज कर दी गई हो.

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क्या RTI से जान सकते हैं मार्क्स?

अब ऐसा ही एक सवाल सुप्रीम कोर्ट के पास आया, जिसमें सबसे बड़ी अपीलीय अदालत को तय करना था कि क्या कोई छात्र आरटीआई करके दूसरे छात्रों के मार्क्स जान सकते हैं? आइये जानते हैं कि शीर्ष अदालत ने क्या फैसला सुनाया...

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जनहित के लिए पारदर्शिता जरूरी

इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने बरकरार रखा है. अदालत ने कहा कि हम भी यह मानते हैं कि अंकों का खुलासा, हालांकि व्यक्तिगत जानकारी के श्रेणी में आता है, फिर भी यह जनहित में आवश्यक है.

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केवल जरूरी जानकारी

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि इस तरह की जानकारी का खुलासा प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आवश्यक है. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी और सभी व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता है, बल्कि केवल वही जानकारी जो सार्वजनिक हित में है, उसे साझा किया जाना चाहिए.

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बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला बरकरार

11 नवंबर, 2024 को एक रिट याचिका में पारित आदेश के तहत, बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक उम्मीदवार की याचिका को मंजूरी दी, जिसमें उसने जिला न्यायालय, पुणे में जूनियर क्लर्क के पद के लिए चयन प्रक्रिया में अन्य उम्मीदवारों के अंकों का खुलासा करने की मांग की थी.

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अच्छा गया इक्जाम लेकिन नहीं आया परिणाम

याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया कि उसे चयनित नहीं किया गया, जबकि उसने इक्जाम में अच्छा किया था और इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया गया था. याचिकाकर्ता ने आरटीआई अधिनियम के तहत चयन परिणामों और प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था. हालांकि, उसका आवेदन यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया गया कि यह जानकारी गोपनीय है.

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सार्वजनिक हित के लिए जरूरी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे चयन प्रक्रिया में उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंक सामान्यतः व्यक्तिगत जानकारी नहीं माने जा सकते हैं, जिसका खुलासा किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से संबंधित नहीं है.

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निजता का उल्लंघन नहीं है

बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विधायिका ने धारा 8(1)(j) के तहत सभी व्यक्तिगत जानकारी को छूट नहीं दी है, बल्कि केवल ऐसी व्यक्तिगत जानकारी को, जिसका खुलासा किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से संबंधित नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि सार्वजनिक पद के लिए चयन की प्रक्रिया में उम्मीदवारों के अंकों का खुलासा करना गोपनीयता का अनावश्यक उल्लंघन नहीं है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले से सहमति जताई है.