बच्चे के सरनेम को लेकर पैरेंट्स में विवाद इतना बढ़ा कि तलाक-कस्टडी की मांग को लेकर कोर्ट तक पहुंच गए
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बच्चे के सरनेम को लेकर पैरेंट्स में विवाद इतना बढ़ा कि तलाक-कस्टडी की मांग को लेकर कोर्ट तक पहुंच गए
चाइनीज कपल के बीच विवाद का कारण यह था कि पत्नी चाहती थी कि उनके बेटे का उपनाम उसके उपनाम 'जी' पर हो, जबकि पति 'शाओ' अपने बेटे का उपनाम बदलने की मांग कर रहा था.
Written By Satyam KumarPublished : February 17, 2025 7:36 PM IST
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बच्चे का सरनेम रखने का मामला
सुनने में आपको भले अजीब लगे, लेकिन रिपोर्ट की माने तो ये घटना एकदम हकीकत है. इस घटना में बच्चे का सरनेम रखने को लेकर माता-पिता में जो विवाद छिड़ा, वह तलाक तक पहुंच गया. आइये जानते हैं इस पूरे वाक्ये को...
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पिता ने अपना सरनेम रखना चाहा
शंघाई में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी से तलाक ले लिया है, जब उसने जोर किया कि उनके बेटे का सरनेम उसके जैसा होना चाहिए.
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चाइनीज कपल को एक बेटा-एक बेटी
इस दंपति ने 2019 में एक बेटी को जन्म दिया, जिसने पिता, शाओ का सरनेम लिया, जबकि 2021 में जन्मे बेटे का उपनाम 'जी' का था.
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बेटे का सरनेम बदलने का मामला
पति शाओ ने बार-बार अपनी पत्नी जी से अनुरोध किया कि वह अपने बेटे का उपनाम बदल दे, लेकिन जी ने इनकार कर दिया.
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तलाक मिली लेकिन बच्चों की कस्टडी!
इस असहमति से दोनों के बीच अलगाव कारण बना और मामला तलाक-बच्चे की कस्टडी तक पहुंच गया. अदालत ने जब तलाक की मंजूर कर ली, तो मामला बच्चे की कस्टडी पर अटक गया.
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मां ने मांगी दोनों की कस्टडी
तलाक के बाद, दोनों बच्चे जी के पास रहे. पति शाओ ने अपनी बेटी की कस्टडी की मांग की, लेकिन बेटे पर अपने दावे को छोड़ दिया. जी ने दोनों बच्चों को रखने की इच्छा जताई. अदालत ने सुनवाई के बाद जी को पूर्ण कस्टडी दे दी.
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बच्चे का श्रेष्ठ हित
चीनी अदालत ने बच्चों के श्रेष्ठ हित को आधार बनाते हुए माताओं का पक्ष लेती हैं. शाओ ने उच्च अदालत में अपील की, लेकिन उसे फिर से निराशा का सामना करना पड़ा.
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पिता उठाएगा खर्च
अदालत ने उसे आदेश दिया कि वह बच्चों के 18 साल के होने तक बच्चे के खर्च का भुगतान करे.