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आजकल सोशल मीडिया पर भी यह बातें खूब चर्चा में रहती है कि पति के बेरोजगार रहने पर वह पत्नी-बच्चों को गुजारा भत्ता देने से बच जाएगा.
Written By Satyam Kumar Updated : March 13, 2025 7:42 PM IST
आजकल सोशल मीडिया पर भी यह बातें खूब चर्चा में रहती है कि पति के बेरोजगार रहने पर वह पत्नी-बच्चों को गुजारा भत्ता देने से बच जाएगा.
अब इसी तरह एक मामला हाई कोर्ट के सामने आया, जिसमें पात्रता रखने वाला पति घर पर बेरोजगार बैठा था, और इसी तथ्य को आधार बनाते हुए पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचना चाहता था.
हुआ यूं कि पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती दी. फैमिली कोर्ट ने पत्नी-बच्चों के लिए पति को 15 हजार गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था.
उड़ीसा हाई कोर्ट के सामने पति ने दावा किया कि उसने अपनी पत्नी द्वारा उत्पीड़न के कारण अपनी नौकरी छोड़ दी और इसलिए उसके पास भरण-पोषण देने के लिए कोई आय नहीं है.
ओडिशा हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाया कि योग्य पुरुष जो अपनी पत्नी और बच्चों को भरण-पोषण देने से बचने के लिए निष्क्रिय रहना चुनते हैं, उनकी कठोर आलोचना की जानी चाहिए.
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस जी सत्तपथी ने कहा कि कानून उन लोगों की सहायता कर सकता है जो नौकरी खोजने में ईमानदार प्रयास करते हैं. लेकिन उन लोगों की मदद नहीं कर सकता जो केवल दूसरों के प्रयासों को विफल करने के लिए निष्क्रिय रहना चुनते हैं.
जस्टिस सत्तपथी ने कहा कि बेरोजगार होना एक बात है और योग्य होने के बावजूद केवल पत्नी पर बोझ डालने के लिए घर पर बैठना दूसरी बात है.
हाई कोर्ट ने कहा कि यदि एक पति, जो योग्य है और कमाई करने की क्षमता रखता है, केवल अपनी पत्नी पर बोझ डालने के लिए निष्क्रिय रहतें है, तो उसकी न केवल निंदा की जानी चाहिए, बल्कि इस रवैये को discourage भी किया जाना चाहिए.
पति ने यह भी कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत बच्चों के लिए भरण-पोषण का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि, पारिवारिक न्यायालय ने उसकी बेटी के भरण-पोषण पर विचार किया.
हाई कोर्ट ने पति के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रावधान का उद्देश्य बच्चों की आवश्यकताओं और शिक्षा को प्रदान करना भी है. पत्नी ने अदालत को बताया कि पति न केवल योग्य है, बल्कि एक प्रतिष्ठित संगठन में 32 वर्षों का अनुभव रखने वाला एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है.
हाई कोर्ट ने पति के द्वारा दी गई जानकारी की जांच की, तो पता चला कि वह केवल मार्च 2023 से बेरोजगार था. अदालत ने पति के इस रवैये से नाराजगी जाहिर करते हुए याचिका खारिज कर दी है.