'गंभीर यौन हमले
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यौन प्रेरित प्रयास के बिना, एक नाबालिग लड़की के होंठों को छूना और उसके पास सोना 'POCSO अधिनियम' के तहत 'गंभीर यौन हमले' के लिए अभियोजन को आकर्षित नहीं कर सकता है.
Written By Satyam Kumar Published : March 7, 2025 6:32 PM IST
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यौन प्रेरित प्रयास के बिना, एक नाबालिग लड़की के होंठों को छूना और उसके पास सोना 'POCSO अधिनियम' के तहत 'गंभीर यौन हमले' के लिए अभियोजन को आकर्षित नहीं कर सकता है.
दिल्ली हाईकोर्ट
POCSO, यौन उत्पीड़न मामलों में पीड़ित पहचान छिपाकर रखी जाती है. इस पोस्ट में यूज किए अधिकांश पिक एनिमेटेड है.
अदालत ने यह भी कहा कि नाबालिग लड़की ने यौन हमले का कोई आरोप नहीं लगाया और यह कि किसी भी प्रकार की यौन प्रेरित प्रगति का अभाव 'POCSO अधिनियम' के तहत अपराध के लिए आवश्यक तत्व को नकारता है.
हालांकि, अदालत ने 12 वर्षीय नाबालिग लड़की के चाचा की याचिका पर निर्णय लेते हुए IPC की धारा 354 के तहत आरोप बनाए रखने का फैसला किया.
इस मामले में नाबालिग लड़की को उसकी माँ द्वारा छोटी उम्र में छोड़ दिया गया था और वह एक चाइल्ड केयर संस्थान में रह रही है. हालांकि, यह घटना तब हुआ जब वह अपने परिवार से मिलने आई थी.
उसने दावा किया कि उसके चाचा ने अनुचित तरीके से उसे टच किया है लेकिन उसने यौन संबंध बनाने की बात से इंकार किया.
निर्णय में कहा गया है कि जब बच्ची पारिवारिक सुरक्षा की तलाश कर रही थी, तब किसी परिवार के सदस्य द्वारा अनुचित तरीके से टच करना उसके सम्मान और शारीरिक स्वायत्तता का स्पष्ट उल्लंघन है.
इस दौरान हाई कोर्ट ने trial courts द्वारा 'क्रिप्टिक, नॉन-स्पीकिंग, प्रोफार्मा ऑर्डर्स' पारित करने की प्रथा की आलोचना की, जिसमें किसी भी तर्क या विश्लेषण का अभाव था.
न्यायालय ने 24 फरवरी को 12 वर्षीय एक नाबालिग लड़की के चाचा द्वारा दायर याचिका पर यह निर्णय सुनाया. याचिका में मांग किया गया था कि उसके खिलाफ IPC की धारा 354 और POCSO अधिनियम की धारा 10 के तहत आरोप तय किए जाएं.
अदालत ने कहा कि IPC की धारा 354 के तहत अपराध के आवश्यक तत्व पूरी तरह से पूरे होते हैं, जो महिला के खिलाफ आपराधिक बल या हमले के उपयोग को अपराध
अदालत ने IPC की धारा 354 के तहत आरोप को बनाए रखा, लेकिन POCSO अधिनियम की धारा 10 के तहत उसे मुक्त कर दिया,
कोर्ट ने कहा कि किसी परिवार के सदस्य द्वारा अनुचित शारीरिक संपर्क, जब वह विश्वास के पद में हो, तो यह उसकी गरिमा का स्पष्ट उल्लंघन है.