भारतीय फ़िल्मों में आपने अक्सर देखा होगा कि हीरो, जो की वकील नहीं है, फिर भी वो कोर्ट में वकालत करते हुए देखा जाता है.
Image Credit: my-lord.inलेकिन क्या वास्तविक अदालतों में ऐसा संभव है कि देश का कोई भी नागरिक पैरवी कर सकता है.
Image Credit: my-lord.inहमारे देश के कानून के अनुसार ऐसा संभव है लेकिन यह सिर्फ एक व्यक्ति खुद के केस में ही ऐसा कर सकता है. लेकिन दूसरे के केस में आपको वकील ही करना होगा.
Image Credit: my-lord.inएडवोकेट्स एक्ट, 1961 की धारा 32 के तहत कोई भी व्यक्ति अपना केस अदालत में लड़ सकता है.कोर्ट में जज के सामने कोई भी उपस्थित होकर दलील दे सकता है चाहे वह वकील हो या नहीं.
Image Credit: my-lord.inऐसा करने लिए वकालत डिग्री की जरुरत नहीं क्योंकि संविधान में हर व्यक्ति को अपने अधिकारों की रक्षा करने का अधिकार दिया गया है.
Image Credit: my-lord.inकोर्ट में खुद की पैरवी करने के लिए सर्वप्रथम अदालत के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करना होता है. कोर्ट में निवेदन के उपरांत जज अपना केस लड़ने के लिए इजाज़त दे सकतें हैं और मना भी कर सकते हैं।
Image Credit: my-lord.inयह पूरी तरह जज के विवेक पर निर्भर करता है. अगर जज को लगे की निवेदन करने वाला व्यक्ति खुद का केस नहीं लड़ पाएगा तो उसे सरकारी वकील भी दिया जा सकता है.
Image Credit: my-lord.inसुब्रमण्यम स्वामी वकील ना होते हुए भी कई बार खुद का केस लड़ चुके हैं. बिना वकालत पढ़े इन्होंने राम जेठमलानी, कपिल सिब्बल जैसे कई वकीलों के सामने बहस की है.
Image Credit: my-lord.inहालांकि, उस समय अधिकतर उनकी वकील पत्नी और उनकी लीगल टीम उनके साथ रहती है.
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