कानून की इस धारा के तहत आम नागरिक भी खुद लड़ सकता है अपना केस

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 03 Feb, 2023

फिल्मों में

भारतीय फ़िल्मों में आपने अक्सर देखा होगा कि हीरो, जो की वकील नहीं है, फिर भी वो कोर्ट में वकालत करते हुए देखा जाता है.

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लड़ सकते है केस

लेकिन क्या वास्तविक अदालतों में ऐसा संभव है कि देश का कोई भी नागरिक पैरवी कर सकता है.

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खुद के केस में

हमारे देश के कानून के अनुसार ऐसा संभव है लेकिन यह सिर्फ एक व्यक्ति खुद के केस में ही ऐसा कर सकता है. लेकिन दूसरे के केस में आपको वकील ही करना होगा.

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एडवोकेट्स एक्ट, 1961

एडवोकेट्स एक्ट, 1961 की धारा 32 के तहत कोई भी व्यक्ति अपना केस अदालत में लड़ सकता है.कोर्ट में जज के सामने कोई भी उपस्थित होकर दलील दे सकता है चाहे वह वकील हो या नहीं.

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डिग्री की जरुरत नहीं

ऐसा करने लिए वकालत डिग्री की जरुरत नहीं क्योंकि संविधान में हर व्यक्ति को अपने अधिकारों की रक्षा करने का अधिकार दिया गया है.

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कोर्ट की अनुमति

कोर्ट में खुद की पैरवी करने के लिए सर्वप्रथम अदालत के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करना होता है. कोर्ट में निवेदन के उपरांत जज अपना केस लड़ने के लिए इजाज़त दे सकतें हैं और मना भी कर सकते हैं।

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सरकारी वकील

यह पूरी तरह जज के विवेक पर निर्भर करता है. अगर जज को लगे की निवेदन करने वाला व्यक्ति खुद का केस नहीं लड़ पाएगा तो उसे सरकारी वकील भी दिया जा सकता है.

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सुब्रमण्यम स्वामी

सुब्रमण्यम स्वामी वकील ना होते हुए भी कई बार खुद का केस लड़ चुके हैं. बिना वकालत पढ़े इन्होंने राम जेठमलानी, कपिल सिब्बल जैसे कई वकीलों के सामने बहस की है.

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इनके सपोर्ट से लड़े केस

हालांकि, उस समय अधिकतर उनकी वकील पत्नी और उनकी लीगल टीम उनके साथ रहती है.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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