महाभियोग प्रक्रिया से हटाए जा सकते हैं राष्ट्रपति और जज, जानें कैसे

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 09 Feb, 2023

क्या है महाभियोग

महाभियोग एक प्रक्रिया है, जिसके तहत राष्ट्रपति और जजों को उनके पद से हटाया जाता है, अगर वो गैरकानूनी गतिविधियों, दुर्व्यवहार या अक्षमता में शामिल पाये जाते हैं.

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संविधान में प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4) व (5), 217 और 218 में महाभियोग प्रस्ताव का उल्लेख किया गया है.

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अनुच्छेद 124(4)

अनुच्छेद 124(4) एक जज को हटाने और महाभियोग की प्रक्रिया के दिशानिर्देशों को बताया गया है.

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अनुच्छेद 217 व 218

अनुच्छेद 217 में उच्च न्यायालय के जज की नियुक्ति और उनके पद की शर्ते निर्धारित की गई हैं व अनुच्छेद 218 में जजों पर महाभियोग चलाने के प्रावधान का उल्लेख है.

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महाभियोग की प्रक्रिया

इस प्रस्ताव हेतु लोकसभा के 100 और राज्यसभा के 50 सांसदों का दस्तखत आवश्यक है, जिसके बाद स्पीकर या राज्यसभा के अध्यक्ष प्रस्ताव को मंजूरी या नामंजूरी देते हैं.

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सांसदों के समर्थन

जांच के लिए एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस, और एक कानूनविद की एक तीन सदस्यीय समिति बनाई जाती है. दोष साबित होने पर सदन में वोटिंग के द्धारा प्रस्ताव पारित होता है.

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राष्ट्रपति का फैसला

किसी जज को हटाने का अधिकार सिर्फ़ राष्ट्रपति के पास होता है इसलिए दोनों सदनों में ये प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे मंज़ूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है.

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जस्टिस वी रामास्वामी

जस्टिस वी रामास्वामी पहले जज थे, जिनपर महाभियोग लगा था परन्तु दोषी साबित होने पर भी प्रस्ताव लोकसभा में हार गया था.

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