महाभियोग एक प्रक्रिया है, जिसके तहत राष्ट्रपति और जजों को उनके पद से हटाया जाता है, अगर वो गैरकानूनी गतिविधियों, दुर्व्यवहार या अक्षमता में शामिल पाये जाते हैं.
Image Credit: my-lord.inसंविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4) व (5), 217 और 218 में महाभियोग प्रस्ताव का उल्लेख किया गया है.
Image Credit: my-lord.inअनुच्छेद 124(4) एक जज को हटाने और महाभियोग की प्रक्रिया के दिशानिर्देशों को बताया गया है.
Image Credit: my-lord.inअनुच्छेद 217 में उच्च न्यायालय के जज की नियुक्ति और उनके पद की शर्ते निर्धारित की गई हैं व अनुच्छेद 218 में जजों पर महाभियोग चलाने के प्रावधान का उल्लेख है.
Image Credit: my-lord.inइस प्रस्ताव हेतु लोकसभा के 100 और राज्यसभा के 50 सांसदों का दस्तखत आवश्यक है, जिसके बाद स्पीकर या राज्यसभा के अध्यक्ष प्रस्ताव को मंजूरी या नामंजूरी देते हैं.
Image Credit: my-lord.inजांच के लिए एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस, और एक कानूनविद की एक तीन सदस्यीय समिति बनाई जाती है. दोष साबित होने पर सदन में वोटिंग के द्धारा प्रस्ताव पारित होता है.
Image Credit: my-lord.inकिसी जज को हटाने का अधिकार सिर्फ़ राष्ट्रपति के पास होता है इसलिए दोनों सदनों में ये प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे मंज़ूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है.
Image Credit: my-lord.inजस्टिस वी रामास्वामी पहले जज थे, जिनपर महाभियोग लगा था परन्तु दोषी साबित होने पर भी प्रस्ताव लोकसभा में हार गया था.
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