कोर्ट किन मामलों में लेता है स्वत: संज्ञान

My Lord Team

Source: my-lord.in | 01 Feb, 2023

स्वत:संज्ञान

जब कोर्ट अपने आप किसी बात या घटना पर संज्ञान लेती है तो उसे स्वत: संज्ञान (Suo Motu Cognizance) कहते है.

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कानून की नजर में

हमारे देश के कानून में स्वत: संज्ञान का जिक्र CrPC की धारा 190(1)(C) में किया गया है.

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संविधान की शक्ति

संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 तहत सभी हाई कोर्ट स्वत: संज्ञान ले सकती है.

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जांच का आदेश

जब कोर्ट को पुलिस के अलावा किसी और से या खुद से कोई जानकारी मिलती है तो वह उस मामले की जांच पुलिस से करवाती है.

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कानूनी कार्रवाई

पुलिस उस मामले की जांच करती है और दोषी को 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश करती है जिसके बाद कोर्ट उस पर कानूनी कार्रवाई करती है.

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जिला अदालते

जिला कोर्ट सिर्फ आपराधिक मामलों (Criminal Cases) का ही स्वत: संज्ञान करती है.

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जनहित के मुद्दे

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जनहित से जुड़े किसी भी तरह के केस में स्वत: संज्ञान ले सकती है.

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अवमानना पर भी

आमतौर पर अदालत की अवमानना, पुराने मामले को खोलने, जनहित में कार्य के लिए स्वत:संज्ञान लिए जाते है.

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अदालत की अवमानना

जज/अदालत के आदेश की पालना नही करने, अनादर करने, अपमान करने पर स्वत: संज्ञान लेती है.

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रिओपन

किसी बंद केस में नये सबूत मिलने या नए तथ्य पर कोर्ट स्वत:संज्ञान लेकर केस को फिर से खोल सकती है.

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मीडिया रिपोर्ट

पत्र, मीडिया या किसी और माध्यम से जानकारी मिलने पर कोर्ट कार्रवाई करती है.

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अन्याय के खिलाफ

किसी वर्ग, समूह, क्षेत्र के लोगों के साथ अन्याय होने पर कोर्ट जांच का आदेश करती है.

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