जब कोर्ट अपने आप किसी बात या घटना पर संज्ञान लेती है तो उसे स्वत: संज्ञान (Suo Motu Cognizance) कहते है.
Source: my-lord.inहमारे देश के कानून में स्वत: संज्ञान का जिक्र CrPC की धारा 190(1)(C) में किया गया है.
Source: my-lord.inसंविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 तहत सभी हाई कोर्ट स्वत: संज्ञान ले सकती है.
Source: my-lord.inजब कोर्ट को पुलिस के अलावा किसी और से या खुद से कोई जानकारी मिलती है तो वह उस मामले की जांच पुलिस से करवाती है.
Source: my-lord.inपुलिस उस मामले की जांच करती है और दोषी को 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश करती है जिसके बाद कोर्ट उस पर कानूनी कार्रवाई करती है.
Source: my-lord.inजिला कोर्ट सिर्फ आपराधिक मामलों (Criminal Cases) का ही स्वत: संज्ञान करती है.
Source: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जनहित से जुड़े किसी भी तरह के केस में स्वत: संज्ञान ले सकती है.
Source: my-lord.inआमतौर पर अदालत की अवमानना, पुराने मामले को खोलने, जनहित में कार्य के लिए स्वत:संज्ञान लिए जाते है.
Source: my-lord.inजज/अदालत के आदेश की पालना नही करने, अनादर करने, अपमान करने पर स्वत: संज्ञान लेती है.
Source: my-lord.inकिसी बंद केस में नये सबूत मिलने या नए तथ्य पर कोर्ट स्वत:संज्ञान लेकर केस को फिर से खोल सकती है.
Source: my-lord.inपत्र, मीडिया या किसी और माध्यम से जानकारी मिलने पर कोर्ट कार्रवाई करती है.
Source: my-lord.inकिसी वर्ग, समूह, क्षेत्र के लोगों के साथ अन्याय होने पर कोर्ट जांच का आदेश करती है.
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