आपराधिक मामलों में Reference और Revision का क्या है महत्त्व?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 07 Aug, 2023

पुनरीक्षण या निर्देश के लिए आवेदन

अगर किसी पीड़ित या फिर किसी अपराधी को निचली अदालत द्वारा या फिर ऊपरी अदालत के माध्यम से कोई आदेश प्राप्त हुआ है जिससे कि वे असंतुष्ट हैं तो पीड़ित या फिर अभियुक्त व्यक्ति न्यायालय द्वारा दिए गए उस आदेश के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता के तहत ऊपरी अदालत में पुनरीक्षण (Revision) या फिर निर्देश (Reference) के लिए आवेदन कर सकते हैं

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पुनरीक्षण की परिभाषा

CrPC में “रिविजन” शब्द की व्याख्या नहीं की गई है हालांकि धारा 397 के तहत, हाईकोर्ट या किसी भी सत्र न्यायाधीश को किसी भी कार्यवाही के अभिलेख (record) की जांच करने और खुद को संतुष्ट करने का अधिकार दिया गया है

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पुनरीक्षण की साधारण परिभाषा

पुनरीक्षण को इस संहिता द्वारा परिभाषित नहीं किया गया है किन्तु उसे ऐसे परिभाषित किया जा सकता है –“पुनरीक्षण न्यायालय की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा न्यायालय दण्डादेश की वैधता (Validity of sentence) इत्यादि की परीक्षा करती है और इसके साथ ही पीड़ित या फिर अभियुक्त को न्याय प्रदान करती है

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CrPC की धारा 401

इसकी धारा के अनुसार, अपनी रिविजनल शक्तियों का प्रयोग करने के लिए हाईकोर्ट पर कुछ कानूनी सीमाएँ लगाई गई हैं, हालांकि इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए एकमात्र वैधानिक आवश्यकता यह है कि कार्यवाही के रिकॉर्ड उसके सामने प्रस्तुत किए जाते हैं, जिसके बाद केवल न्यायालय के विवेक पर है कि क्या एक आरोपी को सुनने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए या नहीं

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CrPC में निर्देश की परिभाषा

यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली अदालतें किसी विधि के प्रश्न पर सम्बंधित उच्च न्यायालय से परामर्श प्राप्त करती है

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उच्च न्यायालय को निर्देश

जहां किसी न्यायालय का समाधान हो जाता है कि उसके समक्ष लंबित मामले में किसी अधिनियम, अध्यादेश या विनियम में शामिल किसी नियम की विधिमान्यता के बारे में ऐसा प्रश्न शामिल है, जिसका अवधारण उस मामले को निपटाने के लिए आवश्यक है, तो वो उस मामले को जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश करेगा

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न्यायालय अपनी राय सहित कारणों को बताएगा

अगर न्यायालय की यह राय है कि ऐसा अधिनियम, अध्यादेश, विनियम या उपबंध अविधिमान्य या अप्रवर्तनशील है किन्तु उस उच्च न्यायालय द्वारा, जिसके वह न्यायालय अधीनस्थ है या उच्चतम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित नहीं किया गया है, वहां न्यायालय अपनी राय और उसके कारणों को बताते हुए मामले का कथन तैयार करेगा और उसे उच्च न्यायालय के विनिश्चय के लिए निर्देशित करेगा

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