अगर किसी पीड़ित या फिर किसी अपराधी को निचली अदालत द्वारा या फिर ऊपरी अदालत के माध्यम से कोई आदेश प्राप्त हुआ है जिससे कि वे असंतुष्ट हैं तो पीड़ित या फिर अभियुक्त व्यक्ति न्यायालय द्वारा दिए गए उस आदेश के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता के तहत ऊपरी अदालत में पुनरीक्षण (Revision) या फिर निर्देश (Reference) के लिए आवेदन कर सकते हैं
Image Credit: my-lord.inCrPC में “रिविजन” शब्द की व्याख्या नहीं की गई है हालांकि धारा 397 के तहत, हाईकोर्ट या किसी भी सत्र न्यायाधीश को किसी भी कार्यवाही के अभिलेख (record) की जांच करने और खुद को संतुष्ट करने का अधिकार दिया गया है
Image Credit: my-lord.inपुनरीक्षण को इस संहिता द्वारा परिभाषित नहीं किया गया है किन्तु उसे ऐसे परिभाषित किया जा सकता है –“पुनरीक्षण न्यायालय की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा न्यायालय दण्डादेश की वैधता (Validity of sentence) इत्यादि की परीक्षा करती है और इसके साथ ही पीड़ित या फिर अभियुक्त को न्याय प्रदान करती है
Image Credit: my-lord.inइसकी धारा के अनुसार, अपनी रिविजनल शक्तियों का प्रयोग करने के लिए हाईकोर्ट पर कुछ कानूनी सीमाएँ लगाई गई हैं, हालांकि इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए एकमात्र वैधानिक आवश्यकता यह है कि कार्यवाही के रिकॉर्ड उसके सामने प्रस्तुत किए जाते हैं, जिसके बाद केवल न्यायालय के विवेक पर है कि क्या एक आरोपी को सुनने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए या नहीं
Image Credit: my-lord.inयह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली अदालतें किसी विधि के प्रश्न पर सम्बंधित उच्च न्यायालय से परामर्श प्राप्त करती है
Image Credit: my-lord.inजहां किसी न्यायालय का समाधान हो जाता है कि उसके समक्ष लंबित मामले में किसी अधिनियम, अध्यादेश या विनियम में शामिल किसी नियम की विधिमान्यता के बारे में ऐसा प्रश्न शामिल है, जिसका अवधारण उस मामले को निपटाने के लिए आवश्यक है, तो वो उस मामले को जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश करेगा
Image Credit: my-lord.inअगर न्यायालय की यह राय है कि ऐसा अधिनियम, अध्यादेश, विनियम या उपबंध अविधिमान्य या अप्रवर्तनशील है किन्तु उस उच्च न्यायालय द्वारा, जिसके वह न्यायालय अधीनस्थ है या उच्चतम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित नहीं किया गया है, वहां न्यायालय अपनी राय और उसके कारणों को बताते हुए मामले का कथन तैयार करेगा और उसे उच्च न्यायालय के विनिश्चय के लिए निर्देशित करेगा
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