लोकसभा का स्पीकर पद को लेकर मची खींचातानी, जानिए स्पीकर के क्या पावर होते हैं?

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 08 Jun, 2024

लोकसभा स्पीकर

लोकसभा के स्पीकर के पास भारतीय संविधान और संसदीय नियमों के तहत विभिन्न महत्वपूर्ण शक्तियाँ और कर्तव्य होते हैं.

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संसद की कार्यवाही का संचालन

स्पीकर लोकसभा की बैठकों का संचालन करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि कार्यवाही सुचारू रूप से चले. वे यह तय करते हैं कि कौन सदस्य कब बोलेगा और कितनी देर बोलेगा.

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व्यवस्था बनाए रखना

स्पीकर सदन में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं. वे किसी भी सदस्य को अनुशासनहीनता के लिए सदन से निष्कासित कर सकते हैं.

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वोटिंग अधिकार

स्पीकर के पास आम तौर पर वोटिंग का अधिकार नहीं होता, परन्तु यदि मत बराबरी पर आ जाए तो स्पीकर के पास निर्णायक वोट (casting vote) का अधिकार होता है.

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प्रश्नों का निर्णय

स्पीकर यह निर्णय करते हैं कि कौन से प्रश्न पूछे जा सकते हैं और कौन से नहीं. वे यह भी तय करते हैं कि प्रश्नकाल के दौरान कौन से प्रश्न उठाए जाएंगे.

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संसदीय समितियों का गठन

स्पीकर विभिन्न संसदीय समितियों का गठन करते हैं और उनके अध्यक्षों की नियुक्ति करते हैं. वे यह सुनिश्चित करते हैं कि समितियाँ प्रभावी रूप से काम करें.

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संसदीय विशेषाधिकारों की रक्षा

स्पीकर लोकसभा के सदस्यों के विशेषाधिकारों की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं. यदि किसी सदस्य के विशेषाधिकारों का उल्लंघन होता है तो स्पीकर इस पर निर्णय लेते हैं.

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स्थगन प्रस्ताव

स्पीकर यह तय करते हैं कि आस्थगन प्रस्ताव स्वीकार किए जाएंगे या नहीं. स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से सदन की सामान्य कार्यवाही को रोककर किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा की जाती है.

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विधेयकों पर निर्णय

स्पीकर यह तय करते हैं कि कौन से विधेयक धन विधेयक (Money Bill) हैं और कौन से नहीं. धन विधेयक पर राज्यसभा का अधिकार सीमित होता है.

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अनुशासनात्मक कार्यवाही

स्पीकर सदन में अनुशासन बनाए रखने के लिए विभिन्न अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे सदन से निष्कासन, चेतावनी आदि.

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अध्यक्ष की भूमिका

स्पीकर न केवल लोकसभा की कार्यवाही के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि वे भारतीय संसदीय प्रणाली की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को भी बनाए रखते हैं.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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