लोकसभा के स्पीकर के पास भारतीय संविधान और संसदीय नियमों के तहत विभिन्न महत्वपूर्ण शक्तियाँ और कर्तव्य होते हैं.
Source: my-lord.inस्पीकर लोकसभा की बैठकों का संचालन करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि कार्यवाही सुचारू रूप से चले. वे यह तय करते हैं कि कौन सदस्य कब बोलेगा और कितनी देर बोलेगा.
Source: my-lord.inस्पीकर सदन में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं. वे किसी भी सदस्य को अनुशासनहीनता के लिए सदन से निष्कासित कर सकते हैं.
Source: my-lord.inस्पीकर के पास आम तौर पर वोटिंग का अधिकार नहीं होता, परन्तु यदि मत बराबरी पर आ जाए तो स्पीकर के पास निर्णायक वोट (casting vote) का अधिकार होता है.
Source: my-lord.inस्पीकर यह निर्णय करते हैं कि कौन से प्रश्न पूछे जा सकते हैं और कौन से नहीं. वे यह भी तय करते हैं कि प्रश्नकाल के दौरान कौन से प्रश्न उठाए जाएंगे.
Source: my-lord.inस्पीकर विभिन्न संसदीय समितियों का गठन करते हैं और उनके अध्यक्षों की नियुक्ति करते हैं. वे यह सुनिश्चित करते हैं कि समितियाँ प्रभावी रूप से काम करें.
Source: my-lord.inस्पीकर लोकसभा के सदस्यों के विशेषाधिकारों की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं. यदि किसी सदस्य के विशेषाधिकारों का उल्लंघन होता है तो स्पीकर इस पर निर्णय लेते हैं.
Source: my-lord.inस्पीकर यह तय करते हैं कि आस्थगन प्रस्ताव स्वीकार किए जाएंगे या नहीं. स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से सदन की सामान्य कार्यवाही को रोककर किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा की जाती है.
Source: my-lord.inस्पीकर यह तय करते हैं कि कौन से विधेयक धन विधेयक (Money Bill) हैं और कौन से नहीं. धन विधेयक पर राज्यसभा का अधिकार सीमित होता है.
Source: my-lord.inस्पीकर सदन में अनुशासन बनाए रखने के लिए विभिन्न अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे सदन से निष्कासन, चेतावनी आदि.
Source: my-lord.inस्पीकर न केवल लोकसभा की कार्यवाही के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि वे भारतीय संसदीय प्रणाली की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को भी बनाए रखते हैं.
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