बच्चे की कस्टडी अदालत से कैसे पाएं?

Satyam Kumar

Source: my-lord.in | 24 Sep, 2024

गार्जियनशिप

बालिग होने तक या अठारह साल से कम उम्र के बच्चे की कानूनी गार्जियनशिप सौंपने को कस्टडी कहा जाता है.

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गुजारा-भत्ता

अदालत बच्चे की कस्टडी देने में बच्चे की भविष्य व उसके पालन पोषण का ध्यान रखती है. अदालत सबसे पहले ये तय करती है कि दोनों गार्जियन में से बच्चे का पालन बेहतर ढंग से कर सकती है.

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बच्चे की कस्टडी

अदालत ने बच्चे की कस्टडी देने या गार्जियन तय करने में कुछ पहलुओं का ध्यान रखती है.

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अलग-अलग धर्मों के कानून

भारत में अलग-अलग धर्मों में बच्चे की कस्टडी को लेकर अलग प्रावधान है. हिंदू धर्म में हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम, 1956 के अनुसार बच्चों की कस्टडी दी जा सक

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पांच वर्ष से कम

जैसे अगर बच्चा पांच साल से कम उम्र का है, तो उसकी कस्टडी उसके मां को दी जाएगी.

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9 वर्ष से अधिक

अगर बच्चे की उम्र 9 साल या उससे अधिक है तो अदालत बच्चे से उसकी इच्छा जाननी चाहती है कि वह किसके साथ रहना चाहता है.

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बालिग होने तक

अगर बेटा बड़ा है तो उसकी कस्टडी उसके पिता को मिलती है.

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बच्चियों की कस्टडी

18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों की कस्टडी अक्सर उसके मां को दी जाती है. हालांकि कुछ परिस्थितियों में बच्चियों की कस्टडी पिता को भी दी जा सकती है.

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