केस खत्म करने से पहले 'पीड़ित पक्ष' को सुनेगी अदालत, बीएनएसएस 2023 को जानें

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 14 Jul, 2024

नए अपराधिक कानून में 'पीड़ित' को राहत पहुंचाने के लिए विशिष्ट ध्यान दिया गया है.

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भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता 2023 का उद्देश्य पीड़ितों को सशक्त कर न्याय सुनिश्चित करना है.

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बीएनएसएस की धारा 360 के अनुसार केस वापस लेने से पहले पीड़ित को अपनी बात कहने का अवसर दिया जाएगा.

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पीड़ित की राय के बाद ही मुकदमे को हटाया जाएगा.

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बीएनएसएस की धारा 173 में शिकायतकर्ता या पीड़ित को FIR की निशुल्क प्रति प्रदान कराना अनिवार्य है.

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जांच अधिकारी को पीड़ित को समयानुसार जांच में हुई प्रगति के बारे में सूचित करना अनिवार्य है.

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वहीं पोक्सो अधिनियम, 2012 एवं यौन अपराधों में मामलों की जांच शिकायत दर्ज कराने के दो महीने के भीतर पूरी किए जाने का प्रावधान है. बीएनएसएस की धारा 193 इस बात को बताती है.

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वहीं बीएनएसएस की धारा 173 पीड़ित को घटनास्थल से अलग किसी भी पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. इस तरह बीएनएसएस पीड़ितों को अभूतपूर्व अधिकार और अवसर प्रदान करता है.

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