नए अपराधिक कानून में 'पीड़ित' को राहत पहुंचाने के लिए विशिष्ट ध्यान दिया गया है.
Image Credit: my-lord.inभारतीय न्याय सुरक्षा संहिता 2023 का उद्देश्य पीड़ितों को सशक्त कर न्याय सुनिश्चित करना है.
Image Credit: my-lord.inबीएनएसएस की धारा 360 के अनुसार केस वापस लेने से पहले पीड़ित को अपनी बात कहने का अवसर दिया जाएगा.
Image Credit: my-lord.inपीड़ित की राय के बाद ही मुकदमे को हटाया जाएगा.
Image Credit: my-lord.inबीएनएसएस की धारा 173 में शिकायतकर्ता या पीड़ित को FIR की निशुल्क प्रति प्रदान कराना अनिवार्य है.
Image Credit: my-lord.inजांच अधिकारी को पीड़ित को समयानुसार जांच में हुई प्रगति के बारे में सूचित करना अनिवार्य है.
Image Credit: my-lord.inवहीं पोक्सो अधिनियम, 2012 एवं यौन अपराधों में मामलों की जांच शिकायत दर्ज कराने के दो महीने के भीतर पूरी किए जाने का प्रावधान है. बीएनएसएस की धारा 193 इस बात को बताती है.
Image Credit: my-lord.inवहीं बीएनएसएस की धारा 173 पीड़ित को घटनास्थल से अलग किसी भी पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. इस तरह बीएनएसएस पीड़ितों को अभूतपूर्व अधिकार और अवसर प्रदान करता है.
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