Zero FIR पर पुलिस आगे की कार्रवाई कैसे करेगी?

Satyam Kumar

Source: my-lord.in | 14 Jul, 2024

जीरो FIR या E FIR, देश के नागरिक को, क्षेत्र विशेष से अलग, शिकायत दर्ज कराने की अनुमति देता है. साथ ही एक टाइमलाइन को मेंटेन रखता है पुलिस ने कितने दिनों में इस शिकायत पर कार्यन्वयन किया है.

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भारत सरकार ने जीरो एफआईआर और ई-एफआईआर के माध्यम से शिकायत कराने पर आगे कैसे कार्रवाई की जानी चाहिए या किस तरह से कार्रवाई आगे बढ़ेगी, इसे लेकर SOP जारी किया है.

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पहले अक्सर सुनने को मिल जाता था कि पुलिस ने 'घटनास्थल' को दूसरे पुलिस स्टेशन की सीमा क्षेत्र बताकर शिकायत लिखने से मना कर देता था. जीरो एफआईआर के आने से अब ऐसा नहीं होगा

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BNSS की धारा 173(1) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति, पुलिस स्टेशन की सीमा क्षेत्र की परवाह किए बिना, किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है.

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संज्ञेय अपराध के होने से संबंधित प्रत्येक सूचना, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में किया गया हो, मौखिक रूप से या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा दी जा सकती है और यदि किसी पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को दी जाती है तो,

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शिकायत पर पुलिस चौदह दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच करेगी कि क्या आगे की कार्यवाही करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं!

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बीएनएसएस की धारा 173 के तहत प्राथमिक जांच के बाद प्रथम दृष्टतया मामला पाते हुए अधिकारी जीरो एफआईआर दर्ज करता है. एफआईआर नंबर के आगे 'जीरो' लगा होगा है जिससे पता चले कि यह जीरो एफआईआर है.

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बीएनएसएस की धारा 173(2) की उपधारा (1) के अनुसार एफआईआर की एक कॉपी शिकायतकर्ता को निशुल्क दी जाएगी.

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जीरो एफआईआर दर्ज होने के बाद, यदि आवश्यक हो, तो प्राथमिक जांच उसी पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी द्वारा की जा सकती है (जैसे बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच)

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अधिकारी जीरो एफआईआर को घटनास्थल पर अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशन को भेजना होगा. वहीं, जब संबंधित पुलिस स्टेशन जीरो एफआईआर प्राप्त करता है और इसे अपने रिकॉर्ड में नियमित एफआईआर के रूप में फिर से दर्ज करेगा. फिर सामान्य तौर ही प्रक्रिया पर आगे की कार्रवाई होगी.

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