भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17A क्या है? जिसके तहत राज्यपाल ने सिद्धारमैया के खिलाफ जांच के दिए आदेश

Satyam Kumar

Source: my-lord.in | 24 Sep, 2024

कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ गवर्नर जांच के दिए आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.

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राज्यपाल थावरचंद गहलोत

हालांकि अदालत ने राज्यपाल के फैसले को PC Act की धारा 17ए के तहत जांच देने के आदेश को बरकरार रखा है. वहीं बीएनएसएस की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने के आदेश पर रोक लगाया है.

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राज्यपाल थावरचंद गहलोत

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने CM के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (Prevention Of Corruption Act) की धारा 17ए के तहत मुकदमा चलाने के निर्देश दिए हैं.

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पीसी एक्ट की धारा 17ए

पीसी एक्ट की धारा 17ए लोक सेवकों के खिलाफ तुच्छ आधार पर मुकदमा चलाने से अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है.

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गर्वनर की इजाजत

पीसी एक्ट की धारा 17ए के अनुसार किसी लोक सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी की इजाजत लेने को अनिवार्य बताती है.

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लोक सेवक

वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218, लोक सेवक व जज के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने की इजाजत देती है.

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मुकमदा चलाने की इजाजत

बीएनएसएस की धारा 218 ने सीआरपीसी की धारा 197 की जगह ली है, जिसके अनुसार केन्द्र या राज्य को किसी लोक सेवक के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए 120 दिन के अंदर इजाजत देनी होती है.

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जांच के आदेश को रखा बरकरार

हाईकोर्ट ने बीएनएसएस की धारा 218 के तहत राज्यपाल के जांच के आदेश को खारिज कर दिया है. हालांकि पीसी एक्ट की धारा 17ए के अनुसार मुकदमा चलाने की इजाजत दी है.

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