दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482, राज्यों के उच्च न्यायालय को विशेष शक्ति प्रदान करती है.
Source: my-lord.inहाईकोर्ट को मिली शक्ति का उद्देश्य न्यायालय की कार्यवाही के दुरूपयोग से बचाना है. साथ ही न्याय सिद्धांत को बनाए रखना है.
Source: my-lord.inसेक्शन 482, अदालत को विधि में मौन मामलों में पर भी उचित कार्रवाई की शक्ति देती है.
Source: my-lord.inललित मोहन मंडल बनाम ध्यानेन्द्र नाथ चटर्जी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा इन परिस्थितियों में शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं;
Source: my-lord.inFIR को रद्द करने में हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग कर सकती है.
Source: my-lord.inदो पक्षों में राजीनामा होने के बाद चलाई जा रहे मामलों को निरस्त करने में
Source: my-lord.inआरोप तय किए बिना ही अभियुक्त के ऊपर चलाए जा रहे ट्रायल के मामले में
Source: my-lord.inन्यायालय के समक्ष अंतिम प्रतिवेदन को निरस्त करने हेतु
Source: my-lord.inअंतत: सीआरपीसी के सेक्शन 482 हाईकोर्ट को विवेकाधीन तौर पर शक्तियों के प्रयोग की इजाजत देती है.
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