सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दहेज अधिनियम की धारा 6 को शादी के समय दिए जाने वाले उपहार पर लागू करने से मना किया है.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने कहा कि शादी के समय दहेज और पारंपरिक उपहार देने से दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 6 के प्रावधान लागू नहीं होते.
Image Credit: my-lord.inमामले में बेटी की तलाक होने के दो साल बाद पिता ने उसके पिछले ससुराल वालों से स्त्रीधन की मांग करते हुए दहेज रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया था.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ‘स्त्रीधन’ केवल महिलाओं का है, और उसका इस पर पूर्ण स्वामित्व है.
Image Credit: my-lord.inअपने पुराने फैसले को आधार बनाते हुए सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ने पुष्टि की कि एक महिला का अपने ‘स्त्रीधन’ पर पूरा अधिकार है और इस पर न तो उसके पति और न ही उसके पिता को उसकी स्पष्ट अनुमति के बिना इस पर कोई अधिकार है.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता की बेटी ने कभी अपने ससुराल वालों को अपना ‘स्त्रीधन’ सौंपा था या उन्होंने इसका दुरुपयोग किया था, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने कहा कि दहेज निषेध अधिनियम की धारा 6 के तहत दहेज के आरोपों को लेकर अदालत ने कहा कि विवाह के समय उपहार देने का यह अर्थ नहीं है उससे कानूनी विवाद खड़े हो जाएं.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने अपील को स्वीकार करते हुए मामले से जुड़ी प्राथमिकी को रद्द करने के निर्देश दिए हैं.
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