सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को 'मियाँ-तियाँ' या 'पाकिस्तानी' कहना भले ही ठीक नहीं है,
Image Credit: my-lord.inलेकिन यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध की श्रेणी में नहीं आता.
Image Credit: my-lord.inइस मामले में शिकायतकर्ता एक उर्दू अनुवादक और सूचना के अधिकार (RTI) के कार्यकारी क्लर्क हैं.
Image Credit: my-lord.inआरोपी, हरि नंदन सिंह, ने अतिरिक्त कलेक्टर से कुछ जानकारी मांगी थी, जो उन्हें भेजा गया.
Image Credit: my-lord.inसूचना में हेर-फेर का आरोप लगाते हुए उन्होंने अपील करते हुए दोबारा से जानकारी मांगी.
Image Credit: my-lord.inअपीलीय प्रक्रिया में, शिकायतकर्ता को निर्देश मिला कि वह व्यक्तिगत रूप से जानकारी हरि नंदन सिंह को सौंपे.
Image Credit: my-lord.inअपीलीय प्रक्रिया में, शिकायतकर्ता को निर्देश मिला कि वह व्यक्तिगत रूप से जानकारी हरि नंदन सिंह को सौंपे.
Image Credit: my-lord.inहालांकि, काफी ना-नुकुर के बाद डॉक्यूमेंट्स को स्वीकार कर लिया, विवाद की शुरूआत यहीं हुई.
Image Credit: my-lord.inशिकायतकर्ता ने दावा किया कि आरोपी ने उनके धर्म को लेकर भद्दी-भद्दी गालियां दी, जबकि वह अपनी ड्यूटी कर रहे थे,
Image Credit: my-lord.inRTI क्लर्क साहब ने हरि नंदन सिंह के खिलाफ धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना), 504 (शांति भंग करने का इरादा), 506 (आपराधिक धमकी) आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी.
Image Credit: my-lord.inमामला निचली अदालत, राजस्थान हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी करते बताया,
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने बरी करते हुए कहा कि आरोपी ने कोई बल प्रयोग नहीं किया था, ना ही ऐसा कार्य किया जिससे शांति भंग हो,
Image Credit: my-lord.inवहीं, मियां-तियां या पाकिस्तानी कहने-सुनने में खराब लगता है लेकिन यह धार्मिक भावनाओं को उकसाने का अपराध नहीं है.
Image Credit: my-lord.inपढ़ने के लिए धन्यवाद!