'किसी को मियां-तियां या पाकिस्तानी कहना ठीक नहीं लेकिन अपराध भी नहीं'

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 04 Mar, 2025

मिया-तियां कहना

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को 'मियाँ-तियाँ' या 'पाकिस्तानी' कहना भले ही ठीक नहीं है,

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला

लेकिन यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध की श्रेणी में नहीं आता.

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RTI क्लर्क

इस मामले में शिकायतकर्ता एक उर्दू अनुवादक और सूचना के अधिकार (RTI) के कार्यकारी क्लर्क हैं.

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RTI

आरोपी, हरि नंदन सिंह, ने अतिरिक्त कलेक्टर से कुछ जानकारी मांगी थी, जो उन्हें भेजा गया.

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दोबारा से मांगी जानकारी

सूचना में हेर-फेर का आरोप लगाते हुए उन्होंने अपील करते हुए दोबारा से जानकारी मांगी.

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सूचना पहुंचाने का आदेश

अपीलीय प्रक्रिया में, शिकायतकर्ता को निर्देश मिला कि वह व्यक्तिगत रूप से जानकारी हरि नंदन सिंह को सौंपे.

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व्यक्तिगत रूप से दे जानकारी

अपीलीय प्रक्रिया में, शिकायतकर्ता को निर्देश मिला कि वह व्यक्तिगत रूप से जानकारी हरि नंदन सिंह को सौंपे.

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कहासुनी से शुरू हुआ विवाद

हालांकि, काफी ना-नुकुर के बाद डॉक्यूमेंट्स को स्वीकार कर लिया, विवाद की शुरूआत यहीं हुई.

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ड्यूटी करते वक्त

शिकायतकर्ता ने दावा किया कि आरोपी ने उनके धर्म को लेकर भद्दी-भद्दी गालियां दी, जबकि वह अपनी ड्यूटी कर रहे थे,

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दर्ज हुई शिकायत

RTI क्लर्क साहब ने हरि नंदन सिंह के खिलाफ धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना), 504 (शांति भंग करने का इरादा), 506 (आपराधिक धमकी) आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी.

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मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा

मामला निचली अदालत, राजस्थान हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी करते बताया,

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बल प्रयोग नहीं हुआ

सुप्रीम कोर्ट ने बरी करते हुए कहा कि आरोपी ने कोई बल प्रयोग नहीं किया था, ना ही ऐसा कार्य किया जिससे शांति भंग हो,

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धार्मिक भावनाओं का अपराध नहीं

वहीं, मियां-तियां या पाकिस्तानी कहने-सुनने में खराब लगता है लेकिन यह धार्मिक भावनाओं को उकसाने का अपराध नहीं है.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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