NJAC में जजों की नियुक्ति से जुड़ा प्रावधान

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 25 Mar, 2025

जस्टिस यशवंत वर्मा के अधिकारिक आवास में कैश मिलने से हलचल मच गई है. जहां एक तरफ लोग इसके लिए कॉलेजियम पर सवाल उठा रहे हैं

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तो वहीं, संसद की ओर से दोबारा से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) पर विचार करने के अनुरोध किया जा रहा है.

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99वें संविधान संशोधन के जरिए संसद, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) पारित किया. हालांकि, 2015 में इस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था.

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NJAC Act, 2015 में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए एक आयोग गठित करने का प्रावधान रखा गया.

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इस आयोग में भारत के चीफ जस्टिस, दो सीनियर जज, कानून मंत्री और एक कमेटी द्वारा चुने गए दो सम्मानीय सदस्य. इन दो सदस्यों में से एक महिला, ओबीसी, अनुसूचित जाति या जनजाति में से कोई एक होना चाहिए था.

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वहीं, इन दो सम्मानीय सदस्यों को चुनने वाली कमेटी में प्रधानमंत्री, सीजेआई और लीडर ऑफ अपोजिशन होंगे.

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राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग, सीजेआई और हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस की नियुक्ति, जजों के ट्रांसफर के मामले को नियंत्रित करती.

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अगर आप इस आयोग के कम्पोजिशन को देखेंगे तो न्यायपालिका की अपेक्षा विधायिका के सदस्यों की संख्या ज्यादा है,

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2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे अप्रत्यक्ष दबाव और विधायिका व कार्यपालिका का ज्यूडिशियरी के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप मानते हुए इस एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया है.

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इससे पुन: जजों की नियुक्ति, ट्रांसफर और चीफ जस्टिस की घोषित करने की शक्ति वापस से कॉलेजियम के पास आ गई.

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