जस्टिस यशवंत वर्मा के अधिकारिक आवास में कैश मिलने से हलचल मच गई है. जहां एक तरफ लोग इसके लिए कॉलेजियम पर सवाल उठा रहे हैं
Image Credit: my-lord.inतो वहीं, संसद की ओर से दोबारा से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) पर विचार करने के अनुरोध किया जा रहा है.
Image Credit: my-lord.in99वें संविधान संशोधन के जरिए संसद, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) पारित किया. हालांकि, 2015 में इस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था.
Image Credit: my-lord.inNJAC Act, 2015 में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए एक आयोग गठित करने का प्रावधान रखा गया.
Image Credit: my-lord.inइस आयोग में भारत के चीफ जस्टिस, दो सीनियर जज, कानून मंत्री और एक कमेटी द्वारा चुने गए दो सम्मानीय सदस्य. इन दो सदस्यों में से एक महिला, ओबीसी, अनुसूचित जाति या जनजाति में से कोई एक होना चाहिए था.
Image Credit: my-lord.inवहीं, इन दो सम्मानीय सदस्यों को चुनने वाली कमेटी में प्रधानमंत्री, सीजेआई और लीडर ऑफ अपोजिशन होंगे.
Image Credit: my-lord.inराष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग, सीजेआई और हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस की नियुक्ति, जजों के ट्रांसफर के मामले को नियंत्रित करती.
Image Credit: my-lord.inअगर आप इस आयोग के कम्पोजिशन को देखेंगे तो न्यायपालिका की अपेक्षा विधायिका के सदस्यों की संख्या ज्यादा है,
Image Credit: my-lord.in2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे अप्रत्यक्ष दबाव और विधायिका व कार्यपालिका का ज्यूडिशियरी के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप मानते हुए इस एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया है.
Image Credit: my-lord.inइससे पुन: जजों की नियुक्ति, ट्रांसफर और चीफ जस्टिस की घोषित करने की शक्ति वापस से कॉलेजियम के पास आ गई.
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