बीमा एक इंश्योरेंस कंपनी और पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति के बीच एक अनुबंध (Contract) है जिसे 'उबेरिमा फाइड्स' कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि यह सबसे अधिक विश्वास का अनुबंध है.
Image Credit: my-lord.inइसमें बीमा (Insurance Policy) लेने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह बीमाकर्ता को सभी महत्वपूर्ण तथ्यों एवं अन्य पॉलिसी के बारे में बताएं.
Image Credit: my-lord.inअगर बीमा लेने वाले व्यक्ति इंश्योरेंस कंपनी से किसी अहम जानकारी को छिपाता है, तो बीमा कंपनी को बीमा दावा खारिज करने का अधिकार है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट में भी ऐसा ही एक मामला आया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति को इंश्योरेंस कंपनी को बीमा राशि देने का आदेश दिया है. आइये जानते हैं क्यो...
Image Credit: my-lord.inअपीलकर्ता के पिता ने एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस से 25 लाख रुपये की इंश्योरेंस कराया था.
Image Credit: my-lord.inपिता की मृत्यु के बाद, अपीलकर्ता यानि बेटे ने पॉलिसी के तहत लाभ के लिए दावा किया, लेकिन यह दावा खारिज कर दिया गया.
Image Credit: my-lord.inक्योंकि पिता ने केवल एक पॉलिसी का खुलासा किया था और अन्य जीवन इंश्योरेंस पॉलिसियों को छिपा दिया था,
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने देखा कि अपीलकर्ता द्वारा घोषित पॉलिसी की राशि 40 लाख रुपये थी, वहीं छिपाई गई पॉलिसियों की कुल राशि 2.3 लाख रुपये के आसपास थी.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने कहा कि बीमाकर्ता को यह अधिकार है कि वह इंश्योरेंस के दावे को खारिज कर दे, यदि बीमित व्यक्ति अपने पिछले इंश्योरेंस पॉलिसियों का खुलासा नहीं करता है.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने यह भी कहा कि पिछले मामलों में पूर्ण रूप से जानकारी न देने के कारण दावे का खंडन किया गया था, जबकि इस मामले में पर्याप्त जानकारी दी गई थी.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट है कि बीमा अनुबंध में पारदर्शिता और जानकारी का खुलासा करना कितना आवश्यक है.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने यह भी बताया कि जब पर्याप्त जानकारी दी जाती है, तो बीमाकर्ता को दावे को खारिज करने का अधिकार नहीं होता.
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