हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने मानवाधिकार आयोग को टूथलेस टाइगर कहने पर आपत्ति जताई है.
Image Credit: my-lord.inहाई कोर्ट ने कहा कि यदि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को powerless बना दिया जाए और इसे "केवल सिफारिशी संस्थाओं" के रूप में मान लिया जाए, तो इसका उद्देश्य समाप्त हो जाएगा.
Image Credit: my-lord.inहाई कोर्ट की ये टिप्पणी 2006 में दिल्ली पुलिस की विशेष सेल द्वारा एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए एक व्यक्ति के माता-पिता द्वारा दायर याचिका से संबंधित है, जिन्होंने न्याय की मांग की है.
Image Credit: my-lord.inNHRC ने शुरू में मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था, लेकिन बाद में 5 फरवरी 2014 को मृतक के निकट संबंधियों को ₹5 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया.
Image Credit: my-lord.inदिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की जांच "वर्तमान मामले में आवश्यक नहीं है" लेकिन कानूनी उत्तराधिकारियों को मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने कहा कि मानवाधिकार आयोग को 'बिना दांत वाले बाघ' नहीं होने चाहिए, बल्कि उन्हें मानव के सबसे मूलभूत अधिकारों की रक्षा करने वाले "क्रूर रक्षक" होना चाहिए.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने कहा कि मानवाधिकार आयोग की सिफारिशें बाध्यकारी हैं और मुआवजा दिया जाना चाहिए.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने मृतक के परिवार को पांच लाख रूपये मुआवजा देने का निर्देश दिया.
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