मानवाधिकार आयोग 'टूथलेस टाइगर' नहीं है!

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 06 Feb, 2025

मानवाधिकार आयोग

हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने मानवाधिकार आयोग को टूथलेस टाइगर कहने पर आपत्ति जताई है.

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Delhi High Court

हाई कोर्ट ने कहा कि यदि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को powerless बना दिया जाए और इसे "केवल सिफारिशी संस्थाओं" के रूप में मान लिया जाए, तो इसका उद्देश्य समाप्त हो जाएगा.

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Encounter Case

हाई कोर्ट की ये टिप्पणी 2006 में दिल्ली पुलिस की विशेष सेल द्वारा एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए एक व्यक्ति के माता-पिता द्वारा दायर याचिका से संबंधित है, जिन्होंने न्याय की मांग की है.

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पांच लाख मुआवजा

NHRC ने शुरू में मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था, लेकिन बाद में 5 फरवरी 2014 को मृतक के निकट संबंधियों को ₹5 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया.

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हाई कोर्ट ने मुआवजा रखा बरकरार

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की जांच "वर्तमान मामले में आवश्यक नहीं है" लेकिन कानूनी उत्तराधिकारियों को मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया.

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मानव अधिकारों का क्रूर रक्षक

अदालत ने कहा कि मानवाधिकार आयोग को 'बिना दांत वाले बाघ' नहीं होने चाहिए, बल्कि उन्हें मानव के सबसे मूलभूत अधिकारों की रक्षा करने वाले "क्रूर रक्षक" होना चाहिए.

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आयोग की सिफारिशें 'बाध्यकारी'

अदालत ने कहा कि मानवाधिकार आयोग की सिफारिशें बाध्यकारी हैं और मुआवजा दिया जाना चाहिए.

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परिजनों को मिलेगा मुआवजा

अदालत ने मृतक के परिवार को पांच लाख रूपये मुआवजा देने का निर्देश दिया.

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