कोर्ट में गुस्सा करने को लेकर बुरे फंसे एडवोकेट, राहत के लिए पूरी करनी होगी ये शर्त

Satyam Kumar

Image Credit: Meta AI | 17 Mar, 2025

Contempt of Court

दिल्ली हाई कोर्ट में सेशन जज के सामने गुस्सा करने के मामले में एक एडवोकेट के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चल रहा था,

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सेशन जज

अवमानना का यह मामला सेशन जज के सामने गुस्सा करने से शुरू हुआ था.

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POCSO Act

POCSO मुकदमे के आरोपी की ओर से बहस कर रहे सीनियर एडवोकेट ने आपत्तिजनक तरीके से बहस की,

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अदालत में गुस्सा

जज को ऊंगली दिखाते हुए उनकी न्यायिक बुद्धिमता पर सवाल उठाया.

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दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा मामला

जिसके बाद यह मामला 23 नवंबर 2024 को दिल्ली हाई कोर्ट के सामने लाया गया. अदालत ने एडवोकेट को नोटिस जारी किया.

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अनुचित व्यवहार

जज ने एडवोकेट के इस व्यवहार को आक्रामक और अनुपयुक्त व्यवहार करार दिया.

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वकील ने माफी मांगी

अदालत के सामने मौजूद होकर वकील ने अपने आचरण के लिए जज से बिना शर्त माफी मांग ली है.

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20 साल की प्रैक्टिस

दिल्ली हाई कोर्ट ने गौर किया कि वकील पिछले 20 साल से इस पेशे में और इससे पहले उनकी ओर से ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं दिखी है.

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Pro Bono Service

राहत देने से पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने एडवोकेट से कहा कि उन्हें साकेत कोर्ट में कम से कम दो आरोपितों या पीड़ितों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं (Pro Bono Service) प्रदान करने का निर्देश दिया.

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बंद किया अवमानना का मुकदमा

दिल्ली हाई कोर्ट ने एडवोकेट के व्यवहार को अनुचित बताते हुए उनके पूर्व रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए उनकी माफी स्वीकार करते हुए अवमानना का मुकदमा रद्द कर दिया है.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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