इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बस्ती के एक डाकघर की अधिक्षक डॉ. शिव पूजन सहाय की स्वैच्छिक सेवानिवृति (Voluntary Retirement) के फैसले को बरकरार रखा है.
Image Credit: my-lord.inइलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट मामले में सीसीएस पेंशन नियम के अनुसार क्या कोई व्यक्ति नियोक्ता की अनुमति के बिना स्वैच्छिक तौर पर रिटायरमेंट ले सकता है.
Image Credit: my-lord.inइलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीसीएस (पेंशन नियम) के नियम 48 के अनुसार स्वैच्छिक तौर पर रिटायरमेंट लेने में नियोक्ता की रजामंदी का जिक्र नहीं पाते हुए, भारत सरकार की रिट याचिका खारिज कर दी.
Image Credit: my-lord.inमामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट को तय करना था, कि क्या कोई व्यक्ति तीस साल सेवा करने के बाद केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन नियम) के नियम 48 के तहत स्वैच्छिक तौर पर सेवानिवृति ले सकता है?
Image Credit: my-lord.inऔर क्या केन्द्र का उनकी सेवानिवृति देने से इंकार करने का फैसला सही था?
Image Credit: my-lord.inइलाहाबाद हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस अरूण भंसाली और जस्टिस विकास की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.
Image Credit: my-lord.inउन्होंने पाया कि सीएस (पेंशन नियम), 1972 के नियम 48 के तहत, एक सरकारी कर्मचारी को 30 साल की सेवा पूरी करने के बाद स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त होने का अधिकार है, बशर्ते वे निलंबित न हों.
Image Credit: my-lord.inन्यायालय ने कहा, नियम 48 सेवानिवृत्त कर्मचारी को दो शर्तों के अधीन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का दावा करने का अधिकार देता है: 30 साल की अर्हक सेवा संतोषजनक ढंग से पूरी करना और निलंबित नहीं होना.
Image Credit: my-lord.inन्यायालय ने स्पष्ट किया कि नियम 48ए (जो 20 साल की सेवा से संबंधित है) के तहत नियोक्ता के पास विवेकाधिकार है.
Image Credit: my-lord.inइलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. शिव पूजन सिंह के स्वैच्छिक रिटायरमेंट के फैसले को बरकरार रखा है. मामले में भारत सरकार द्वारा रिट याचिका को खारिज किया है.
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