Voluntary Retirement अधिकार है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 17 Jul, 2024

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बस्ती के एक डाकघर की अधिक्षक डॉ. शिव पूजन सहाय की स्वैच्छिक सेवानिवृति (Voluntary Retirement) के फैसले को बरकरार रखा है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट मामले में सीसीएस पेंशन नियम के अनुसार क्या कोई व्यक्ति नियोक्ता की अनुमति के बिना स्वैच्छिक तौर पर रिटायरमेंट ले सकता है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीसीएस (पेंशन नियम) के नियम 48 के अनुसार स्वैच्छिक तौर पर रिटायरमेंट लेने में नियोक्ता की रजामंदी का जिक्र नहीं पाते हुए, भारत सरकार की रिट याचिका खारिज कर दी.

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मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट को तय करना था, कि क्या कोई व्यक्ति तीस साल सेवा करने के बाद केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन नियम) के नियम 48 के तहत स्वैच्छिक तौर पर सेवानिवृति ले सकता है?

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और क्या केन्द्र का उनकी सेवानिवृति देने से इंकार करने का फैसला सही था?

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस अरूण भंसाली और जस्टिस विकास की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.

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उन्होंने पाया कि सीएस (पेंशन नियम), 1972 के नियम 48 के तहत, एक सरकारी कर्मचारी को 30 साल की सेवा पूरी करने के बाद स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त होने का अधिकार है, बशर्ते वे निलंबित न हों.

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न्यायालय ने कहा, नियम 48 सेवानिवृत्त कर्मचारी को दो शर्तों के अधीन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का दावा करने का अधिकार देता है: 30 साल की अर्हक सेवा संतोषजनक ढंग से पूरी करना और निलंबित नहीं होना.

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न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नियम 48ए (जो 20 साल की सेवा से संबंधित है) के तहत नियोक्ता के पास विवेकाधिकार है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. शिव पूजन सिंह के स्वैच्छिक रिटायरमेंट के फैसले को बरकरार रखा है. मामले में भारत सरकार द्वारा रिट याचिका को खारिज किया है.

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