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बेटियों को कब नही मिलता पिता की संपत्ति में हिस्सा? जानें नियम-कानून

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 संपत्ति को दो भागों में बांटती है, पहला पैतृक और दूसरा स्वअर्जित संपत्ति. पैतृक संपत्ति में बेटी को बराबर की हिस्सेदारी मिलती है, लेकिन स्वअर्जित मामले में बेटी के अधिकार कम जाते हैं.

Written By Satyam Kumar Updated : November 5, 2024 4:22 PM IST

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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 के अनुसार, पिता की संपत्ति में बेटा और बेटी का समान अधिकार है.

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बेटा-बेटी को बराबर का हकदार

लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी है जिसमें बेटी को पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने का अधिकार सीमित हो जाती है.

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स्वअर्जित संपत्ति

जब पिता ने संपत्ति को अपनी मेहनत से खरीदी हो,

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संपत्ति देने का अधिकार

तो इस मामले में पिता को अपनी संपत्ति मनमुताबिक देने का पूरा अधिकार है.

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दो तरह की संपत्ति

बता दें कि कानून संपत्ति को दो भागों में बांटती है, पहला पैतृक और दूसरा स्वअर्जित संपत्ति

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पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी

पैतृक संपत्ति में बेटी को बराबर की हिस्सेदारी मिलती है

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बेटी का अधिकार नहीं!

लेकिन स्वअर्जित मामले में बेटी के अधिकार कम जाते हैं.

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वसीयत नहीं होने की स्थिति में

वहीं, खुदा न खास्ता अगर पिता का देहांत बिना वसीयत लिखे हो गया तो उस परिस्थिति में भी पिता के सभी संतानों का बराबर का हिस्सेदार माना जाता है.