क्या सुसाइड नोट को सबूत के तौर पर अदालत में पेश किया जा सकता है?
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क्या सुसाइड नोट को सबूत के तौर पर अदालत में पेश किया जा सकता है?
अदालत सुसाइड को सबूत के तौर पर स्वीकृति देने को लेकर कई बिंदुओं विचार करती है, पहला यह कि अदालत यह मानती है कि आखिरी वक्त में कोई मनुष्य गलत नहीं लिख सकता है. वहीं, अदालत सुसाइड नोट में लिखे बातों पर संदेह उत्पन्न होने की स्थिति में, उसकी पुष्टि के लिए, अभयोजन पक्ष को सबूत रखने को कह सकती है.
Written By Satyam KumarPublished : December 11, 2024 5:30 PM IST
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अतुल सुभाष सुसाइड मामला
एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने सुसाइड करने से पहले एक वीडियो और 23 पन्नों को नोट छोड़ा है.
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पुलिस ने दर्ज की FIR
बेंगलुरू पुलिस ने उसके भाई की शिकायत पर आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित धाराओं में मामले को दर्ज किया है.
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सुसाइड नोट सबूत के तौर पर
ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या अतुल के सुसाइड नोट अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है या नहीं...
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नोट में नाम होने से दोषी नहीं!
कानून के अनुसार, सुसाइड नोट में नाम होने मात्र से किसी को दोषी साबित नहीं किया जा सकता है.
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सबूत के तौर पर स्वीकृति
वहीं अदालत सुसाइड को सबूत के तौर पर स्वीकृति देने को लेकर कई बिंदुओं विचार करती है,
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अंतिम समय में सच्चाई
पहला यह कि अदालत यह मानती है कि आखिरी वक्त में कोई मनुष्य गलत नहीं लिख सकता है.
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सबूत की मांग
वहीं, अदालत सुसाइड नोट में लिखे बातों पर संदेह उत्पन्न होने की स्थिति में, उसकी पुष्टि के लिए, अभयोजन पक्ष को सबूत रखने को कह सकती है,
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सुसाइड नोट बनेगा सबूत
तब कहीं जाकर ट्रायल कोर्ट सुसाइड नोट को सबूत के तौर पर मान्यता दे सकती है.