समाज की स्वीकृति नहीं पर होने पर भी युवाओं में बढ़ रहा Live In Relationship: इलाहाबाद हाई कोर्ट
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समाज की स्वीकृति नहीं पर होने पर भी युवाओं में बढ़ रहा Live In Relationship: इलाहाबाद हाई कोर्ट
याचिकाकर्ता को जमानत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि लिव-इन-रिलेशन को समाजिक स्वीकृति नहीं मिली है, इसमें अगर कोई भी लड़का या लड़की इस संबंध में संलिप्त होकर अपने दायित्व से बचते हैं.
Written By Satyam KumarUpdated : January 24, 2025 2:14 PM IST
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लिव-इन-रिलेशनशिप
मॉडर्न युग में लिव-इन-रिलेशनशिप का चलन बढ़ता जा रहा है, जो कि भारत के समाजिक ताने-बाने से अलग है.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी ऐसा ही एक फैसला सुनाया है. अदालत एक जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी,
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शादी के झूठे वादे पर रेप
जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ एक महिला ने शादी का झूठा वादा करके रेप, गर्भपात का आरोप और एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया.
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आरोपी ने मांगी जमानत
जमानत की मांग करते हुए याचिकाकर्ता ने बताया कि वह महिला के साथ, पिछले छह महीने से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहा था और उनके बीच आपसी सहमति से संबंध बना है.
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Live In को समाजिक स्वीकृति नहीं!
दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा, लिव-इन-रिलेशन को समाजिक स्वीकृति नहीं मिली है, इसमें अगर कोई भी लड़का या लड़की इस संबंध में संलिप्त होकर अपने दायित्व से बचते हैं.
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समाज के नैतिक मूल्य
हाई कोर्ट ने आगे कहा, अब समय आ गया है कि लिव-इन-रिलेशनशिप पर विचार करते हुए समाज के नैतिक मूल्य को संरक्षित रखने के उपायों को खोजने का प्रयास करना चाहिए.