भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 (A) देश के नागरिकों को बोलने की स्वतंत्रता प्रदान करता है
Image Credit: my-lord.inसंविधान के अनुच्छेद 19 (2) में उन परिस्थितियों का भी जिक्र किया गया है जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सरकार छीन सकती है
Image Credit: my-lord.inअगर भारत की अखंडता और संप्रभुता को खतरा हो या राज्य की सुरक्षा की हो बात या किसी की बात से मित्र राष्ट्रों या विदेशी राज्यों से संबंध बिगड़ रहे है हो, या बिगड़ सकते है, सार्वजनिक व्यवस्था के खराब होने का हो खतरा, शिष्टाचार या सदाचार के हित खराब हों, अदालत की अवमानना हो,अपराध को बढ़ावा मिलता हो
Image Credit: my-lord.inसाल 1950 में ऑर्गनाइज़र नामक मैगजीन पर प्रतिबंध लगा दिया गया. दिल्ली के कमिश्नर के आदेश के अनुसार कुछ भी छापने से पहले ऑर्गनाइज़र मैगज़ीन को उनसे अप्रूवल लेना जरूरी कर दिया गया था
Image Credit: my-lord.inइस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा की कमिश्नर का ये आदेश फ्री स्पीच के संवैधानिक आदर्श को प्रभावित करता है, क्योंकि किसी मैग्जीन पर प्री-सेंसरशिप उसकी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाती है
Image Credit: my-lord.inसाल 1951 में सरकार एक संवैधानिक संशोधन लेकर आई. इसके तहत अब से 'सार्वजनिक व्यवस्था', 'विदेशों से संबंध खराब होने' या फिर 'हिंसा को बढ़ावा देने' वाली बात कहने या लिखने पर अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीना जा सकता है
Image Credit: my-lord.inसाल 1962 में सरकार ने केदारनाथ बनाम बिहार मामले में राजद्रोह को बरक़रार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह को इस आधार पर अपराध के रूप में बरकरार रखा कि ये अनुच्छेद 19(2) के तहत 'सार्वजनिक व्यवस्था' और 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के तहत प्रतिबंधित है
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