वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर एक बार फिर से पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है.
Image Credit: my-lord.inदेश भर में एक साथ चुनाव लेकर विधि आयोग अपनी रिपोर्ट देगी. रिटायर्ड जज रितू राज अवस्थी की अगुवाई में एक आयोग का गठन किया गया है, जिसे देश भर में एक साथ चुनाव कराने से जुड़ी चुनौतियों की जांच करने को कहा गया था.
Image Credit: my-lord.in2015 में सरकार ने इलेक्शन कमीशन से पूछा कि क्या फिर से वन नेशन वन इलेक्शन करना संभव है। चुनाव आयोग की तरफ से भारत सरकार को कहा गया कि बिल्कुल संभव है और हम करा सकते हैं.
Image Credit: my-lord.inअगर संविधान के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1981 में संशोधन हो जाए, तो देश भर में एक साथ चुनाव कराएं जा सकते हैं.
Image Credit: my-lord.inभारत हर कोने में एक साथ चुनाव कराने के लिए EVM की बड़ी संख्या चाहिए होगी. चुनाव केन्द्रों की सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में पैरा मिलट्री फोर्स की जरूरत होगी. अगर ये सुविधा इलेक्शन कमीशन को मिल जाएं, तो वे चुनाव करा सकती है.
Image Credit: my-lord.inपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के अनुसार, वन नेशन वन इलेक्शन कराने से एक फायदा होगा कि पांच साल तक प्रशासन और नेता दोनों फोकस तरीके से काम करेंगे. इससे आम लोगों का ज्यादा भला होगा.
Image Credit: my-lord.inपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने क्षेत्रीय दलों का आस्तित्व खत्म होने की आशंका पर कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. लोगों को पता है कि उन्हें कैसी सरकार चाहिए और वे अपने हिसाब से वोट करते हैं.
Image Credit: my-lord.inसाल 1962 और 1967 में वन नेशन-वन इलेक्शन की तर्ज पर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए. 1967 के बाद से यह परिपाटी से बाहर होता चला गया है और हर साल चुनाव होते रहते हैं.
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