एक याचिका की सुनवाई के दौरान तेलंगाना उच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधीश उज्ज्वल भुइयां और न्यायाधीश सी वी भास्कर रेड्डी की पीठ ने 'तेलंगाना किन्नर अधिनियम' को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है
Image Credit: my-lord.inपीठ ने अपने जजमेंट में यह कहा है कि उनके अनुसार यह अधिनियम तीसरे लिंग के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है, यह उनकी निजी ज़िंदगी में दखल देता है और उनकी गरिमा पर हमला करता है
Image Credit: my-lord.inकोर्ट ने यह भी माना है कि तेलंगाना किन्नर अधिनियम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के निजता और गरिमा के अधिकार के लिए आक्रामक है; यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का भी उल्लंघन करता है
Image Credit: my-lord.inअधिनियम रद्द करने के साथ-साथ अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो शैक्षिक दाखिलों और सार्वजनिक रोजगार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के आरक्षण का प्रबंध करें
Image Credit: my-lord.inतेलंगाना उच्च न्यायालय ने सरकार को यह निर्देश भी दिया है कि वो 2014 में तेलंगाना में लाई गई 'आसरा पेंशन स्कीम' के लाभ उठाने की सुविधा ट्रांसजेंडर लोगों को भी दें
Image Credit: my-lord.in'तेलंगाना किन्नर अधिनियम' के तहत अगर उनपर लड़कों के अपहरण, उन्हें नपुंसक बनाने या अप्राकृतिक अपराध करने या बढ़ावा देने का संदेह हो, तो हैदराबाद शहर में रहने वाले किन्नरों का एक रजिस्टर रखना अनिवार्य था
Image Credit: my-lord.inकोई किन्नर अगर सड़क या सार्वजनिक स्थान पर महिलाओं के कपड़े या गहने पहनकर गाते या नाचते हुए, सार्वजनिक मनोरंजन में भाग लेते हुए पाए जाते तो उनको बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता था; दो साल तक की जेल की सजा भी निर्धारित की गई थी
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