क्यों चर्चा में है Places of Worship Act?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 11 Jul, 2023

उपासना स्‍थल से सम्बंधित कानून

इस कानून के तहत 15 अगस्‍त 1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म की उपासना स्‍थल को किसी दूसरे धर्म के उपासना स्‍थल में नहीं बदला जा सकता. इस कानून का नाम पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 रखा गया

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नरसिम्हा राव सरकार ने बनाया नया कानून

केन्द्र की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने धार्मिक स्थलों के विवाद को समाधान के सम्बन्ध में एक नया कानून प्रेषित किया जो कि 11 जुलाई, 1991 को लागू हुआ

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क्या है Places of Worship Act

कानून के मुताबिक आजादी के समय जो धार्मिक स्थल जैसा था वैसा ही रहेगा. वह चाहे मस्जिद हो, मंदिर, चर्च या अन्य सार्वजनिक पूजा स्थल. . उसे किसी भी अदालत या सरकार की तरफ से बदला नहीं जा सकता.

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ज्ञानवापी मामला

अभी हाल ही में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मामला सामने आया है जिसमें कि SC ने उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया है।

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सरकार का जवाब

सुप्रीम कोर्ट केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उन दलीलों पर गौर किया कि सरकार ने इस पर विचार किया है और वह एक विस्तृत जवाब दाखिल करेगी

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सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका

शीर्ष अदालत कुछ प्रावधानों पर फिर से विचार करे ताकि हिंदू वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद पर दावा करने के लिए सक्षम हो सकें

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याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय

उपाध्याय ने दावा किया कि पूरा क़ानून असंवैधानिक है और इस पर फिर से व्याख्या करने का कोई सवाल ही नहीं उठता

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