इस कानून के तहत 15 अगस्त 1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म की उपासना स्थल को किसी दूसरे धर्म के उपासना स्थल में नहीं बदला जा सकता. इस कानून का नाम पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 रखा गया
Image Credit: my-lord.inकेन्द्र की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने धार्मिक स्थलों के विवाद को समाधान के सम्बन्ध में एक नया कानून प्रेषित किया जो कि 11 जुलाई, 1991 को लागू हुआ
Image Credit: my-lord.inकानून के मुताबिक आजादी के समय जो धार्मिक स्थल जैसा था वैसा ही रहेगा. वह चाहे मस्जिद हो, मंदिर, चर्च या अन्य सार्वजनिक पूजा स्थल. . उसे किसी भी अदालत या सरकार की तरफ से बदला नहीं जा सकता.
Image Credit: my-lord.inअभी हाल ही में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मामला सामने आया है जिसमें कि SC ने उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया है।
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उन दलीलों पर गौर किया कि सरकार ने इस पर विचार किया है और वह एक विस्तृत जवाब दाखिल करेगी
Image Credit: my-lord.inशीर्ष अदालत कुछ प्रावधानों पर फिर से विचार करे ताकि हिंदू वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद पर दावा करने के लिए सक्षम हो सकें
Image Credit: my-lord.inउपाध्याय ने दावा किया कि पूरा क़ानून असंवैधानिक है और इस पर फिर से व्याख्या करने का कोई सवाल ही नहीं उठता
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