समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से अनुकूल फैसले की उम्मीद जता रहे हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं को यह डर सता रहा कि SC के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार अध्यादेश ला सकती है
Image Credit: my-lord.inऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस (AIPC) के पश्चिम बंगाल चैप्टर ने रविवार को 'मैरिज इक्वेलिटी: लीगलाइजिंग सेम-सेक्स मैरिज' पर एक इंटरैक्टिव पैनल डिस्कशन का आयोजन किया था. जिसमें प्रतिभागियों ने अपने डर को साझा किया
Image Credit: my-lord.in11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार के संबंध में फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली की नौकरशाही पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण है, लेकिन इस आदेश को नकारने के लिए केंद्र ने हफ्तेभर में ही एक अध्यादेश जारी कर दिया, इसके बाद से ही समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं को डर सता रहा
Image Credit: my-lord.inसमलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर करीब 20 याचिकाएं दायर की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्य संविधान पीठ ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया है
Image Credit: my-lord.inCJI की अध्यक्षता में 5 सदस्य संविधान पीठ ने अप्रैल माह में 18, 19, 21, 25, 26 और 27 तारीखों में सुनवाई की. वही मई माह में 3, 10 और 11 मई को सुनवाई करते हुए कुल 10 दिन तक सुनवाई की है
Image Credit: my-lord.inCJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है
Image Credit: my-lord.inसाल 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हैदराबाद के रहने वाले गे कपल सुप्रिया चक्रवर्ती और अभय डांग ने सबसे पहले समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, मेनका गुरुस्वामी, वकील अरुंधति काटजू ने दलीलें पेश की. वही केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा
Image Credit: my-lord.inकेंद्र सरकार के साथ- साथ इस्लामिक धार्मिक संस्था जमीयत-उलमा-ए-हिंद और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी विरोध किया.वहीं दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले में याचिकाओ का समर्थन किया
Image Credit: my-lord.inबार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने अस्पष्ट तौर पर विरोध करते हुए इस मामले को संसद के लिए छोड़ने का अनुरोध किया, हालांकि BCI के इस बयान की सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने निंदा की थी
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