आखिर क्यों नहीं हो रही बृजभूषण की गिरफ्तारी, जानें वजह

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 08 May, 2023

बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी

जंतर मंतर पर विरोध और सुप्रीम कोर्ट के चतले कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली है, लेकिन अब तक सिंह की गिरफ्तारी नहीं होने पर सवाल खड़े हो रहे है

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महिला अधिकारियों पर जांच की जिम्मेदारी

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों की शिकायत पर कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में दो अलग अलग एफआईआर दर्ज की गई है. इस केस की जांच दिल्ली पुलिस की सात महिला अधिकारियों द्वारा की जा रही है

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पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज

पहली FIR एक नाबालिग खिलाड़ी की शिकायत पर पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज की गयी है. इस FIR में Pocso Act की धारा 10 के साथ कुछ धाराएं IPC की भी जोड़ी गई है

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IPC की कई धाराओं के तहत भी केस दर्ज

दूसरी FIR अन्य महिला पहलवान की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है. जिनमें IPC की धारा 345,345 ए, 354 डी और धारा 34 में मामला दर्ज किया गया है

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पॉक्सो एक्ट की धारा 10

इस धारा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति नाबालिग पर यौन हमला करता है तो उसे कम से कम 5 साल सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया जाएगा

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गैर-जमानती अपराध

अदालत 5 साल की सजा को 7 साल की अवधि तक बढ़ाने के साथ-साथ जुर्माना भी लगा सकती है. यह गैर-जमानती अपराध है यानी इसमें अदालत ही जमानत दे सकती है

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कानूनी कारण

गैर जमानती अपराध के बावजूद अब तक दिल्ली पुलिस ने इस मामले में बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया है, जिसके पीछे भी कानूनी कारण है

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले

IPC की धारा 41 ए और सुप्रीम कोर्ट के अलग - अलग फैसलों के अनुसार भी यदि एफआईआर में दर्ज अपराध के लिए निर्धारित सजा अधिकतम 7 साल से कम है तो आरोपी की गिरफ्तारी जरूरी नहीं होती है

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गिरफ्तारी जरूरी नहीं

सुप्रीम कोर्ट के अ़र्नेष कुमार, सत्येंद्र अंतिम समेत अन्य फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संज्ञेय अपराध के लिए भी अभियुक्त की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है

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जांच अधिकारी की मर्जी

इन फैसलों में स्पष्ट किया गया है कि आरोपी की गिरफ्तारी तभी जरूरी होती है जब ऐसे मामलों में जांच अधिकारी को लगे की गिरफ्तारी होनी चाहिए. यानी की जांच अधिकारी की इच्छा पर निर्भर करता है

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जमानत मिलने में मुश्किल

पॉक्सो कानून में केस दर्ज होने के बाद और गिरफ्तारी हो जाने के बाद जमानत मिलने में मुश्किल होती है. इसलिए पुलिस के पास अधिकार है कि गिरफ्तार करने से पहले आरोप की सत्यता की जांच कर ले

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कोर्ट जारी करता है वारंट

एफआईआर दर्ज होने के बाद कोर्ट वारंट जारी करता है और अभियुक्त को जमानत लेना ही पड़ता है. यह कोर्ट तय करता है कि उसे जमानत दे या फिर जेल भेज दे

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