वर्ष 1994 में बिहार के गोपालगंज के जि़लाधिकारी की सड़क पर हत्या कर दी गई थी. हत्या के मामले में आनंद मोहन पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगा था. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने आजीवन उम्र कैद में बदल दिया
Image Credit: my-lord.inबिहार सरकार ने जेल नियमावली 2012 में इस नियम में संशोधन करते हुए लोकसेवक की हत्या के विशेष प्रावधान को हटा दिया और सामान्य हत्या के मामलों में दी जाने वाली राहत को भी लोकसेवक की हत्या मामले में लागू कर दिया
Image Credit: my-lord.inअगर किसी अपराधी को लोकसेवक की हत्या के मामले में आजीवन उम्रकैद की सजा दी गयी है तो जेल नियमों के अनुसार 14 वर्ष की जेल की सजा के बाद सरकार उसे रिहा कर सकती है
Image Credit: my-lord.inरिहाई के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में दायर याचिका में इस संशोधन के चलते राज्य के लोकसेवको के मनोबल को गिराने वाला बताते हुए उन्हे रद्द करने का अनुरोध किया गया है
Image Credit: my-lord.inबिहार सरकार ने कारा अधिनियम 1894 की धारा 59 एवं दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) की धारा 432 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार कारा हस्तक 2012 में अधिसूचना जारी करते हुए यह संशोधन जारी किया
Image Credit: my-lord.inपढ़ने के लिए धन्यवाद!