नाबालिग रेप पीड़िता के गर्भपात की याचिका पर कोर्ट ने क्यों कहा मनुस्मृति पढ़िए

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 09 Jun, 2023

गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणी

गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश समीर दवे ने गर्भपात की अनुमति के लिए दायर नाबालिग बलात्कार पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मनुस्मृति पढ़िए, एक नजर पूरे मामले पर

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नाबालिग है पीड़िता

बलात्कार पीड़िता की आयु 16 साल, 11 महीने है और उसके गर्भ में सात महीने का भ्रूण पल रहा है

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पीड़िता के पिता ने दायर की याचिका

पीड़िता के पिता ने गर्भपात की अनुमति के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, क्योंकि गर्भावस्था की अवधि 24 सप्ताह से ज्यादा हो गई है. इस अवधि के पार हो जाने के बाद अदालत की अनुमति के बिना गर्भपात नहीं कराया जा सकता है

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हम 21वीं सदी में जी रहे हैं

बुधवार को पीड़िता के वकील ने मामले की जल्द सुनवाई की अपील की और कहा कि लड़की की आयु के कारण परिवार चिंतित है. न्यायमूर्ति दवे ने कहा कि चिंता इसलिए है, क्योंकि “हम 21वीं सदी में जी रहे हैं”

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अपनी मां या दादी से पूछिए

उन्होंने पीड़िता से कहा, “अपनी मां या दादी से पूछिए (शादी के लिए) अधिकतम आयु 14-15 होती थी और लड़कियां 17 साल की उम्र से पहले बच्चे को जन्म दे दिया करती थीं. यही नहीं, लड़कियां लड़कों से पहले परिपक्व हो जाती हैं... आपने भले ही नहीं पढ़ी होगी, लेकिन आप एक बार मनुस्मृति पढ़िए”

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विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह

न्यायाधीश ने वकील से कहा कि चूंकि, प्रसव की संभावित तिथि 16 अगस्त है, इसलिए उन्होंने अपने कक्ष में विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह-मशविरा किया है

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आदेश पारित करना होगा मुश्किल

कोर्ट ने कहा “अगर भ्रूण या लड़की के किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की बात सामने आती है, तभी यह अदालत (गर्भपात की अनुमति) पर विचार कर सकती है, लेकिन अगर दोनों स्वस्थ हैं, तो अदालत के लिए इस तरह का आदेश पारित करना मुश्किल होगा”

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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