घरेलू हिंसा के एक मामले में सेशन्स कोर्ट ने एक ऑर्डर दिया था जिसे चुनौती देने वाली याचिका को बंबई उच्च न्यायालय ने अनुमति दे दी है
Image Credit: my-lord.inबंबई हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है कि यदि कोई महिला यह साबित कर देती है कि उसे घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा है, तो उस हिंसा की डिग्री या मात्रा कितनी है यह मायने नहीं रखता है
Image Credit: my-lord.inअदालत ने यह कहा है कि हिंसा शारीरिक या लैंगिक हो यह जरूरी नहीं, हिंसा मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक भी हो सकता है; यह सब घरेलू हिंसा के तहत आता है
Image Credit: my-lord.inहाईकोर्ट ने जेएमएफसी कोर्ट के फैसले को खारिज किया है और कहा है कि इस विषय से जुड़े किसी भी मामले में अदालत अपने हिसाब से हिंसा को कम-ज्यादा या छोटा-बड़ा नहीं कह सकती है
Image Credit: my-lord.inजेएमएफसी ने अपने ऑर्डर में कहा है कि याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी पर घरेलू हिंसा के जो आरोप लगाए हैं तो 'छोटे' हैं जिसको याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी
Image Credit: my-lord.inयाचिकाकर्ता का यह कहना है कि उनके पति ने शादी के बाद उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें यौन शोषण का भी सामना करना पड़ा है; यह बर्ताव उनकी बेटी ने भी सहा
Image Credit: my-lord.inइस सबके चलते याचिकाकर्ता अपनी मां के घर पर रहने लगी और फिर उन्होंने 'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005' के तहत अपने पति के खिलाफ मामला दर्ज किया
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