भारत में द्विविवाह क्यों अपराध है? जानिये कानूनी प्रावधान

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 20 May, 2023

दूसरी शादी एक अपराध

हमारे देश में कानूनी रूप से दो बार शादी करना एक अपराध है. भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 494 और 495 में यह बताया गया है कि किन परिस्थितियों में की गई दूसरी शादी एक अपराध माना जाता है

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पति या पत्नी के होते हुए दूसरी बार विवाह करना

आईपीसी की धारा 494 के अनुसार पति या पत्नी के रहते हुए भी, बिना तलाक लिए दूसरी बार विवाह करना एक अपराध माना जाएगा. इसमें बताया गया है कि अगर कोई पति या पत्नी के जीवित होते हुए दूसरी बार विवाह करता है तो एक तो उस विवाह को शून्य माना जाएगा और दूसरा कि ऐसा करने वाला व्यक्ति दोषी माना जाएगा

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सात साल तक सजा हो सकती है

यदि कोई पति या पत्नी के जीवित होते हुए दूसरी बार विवाह करता है तो एक तो उस विवाह को शून्य माना जाएगा और ऐसा करने वाला व्यक्ति दोषी माना जाएग. इस अपराध के लिए दोषी को सात साल की जेल हो सकती है और जुर्माना भी देना पड़ सकता है

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इन स्थितियों में दूसरा विवाह जायज

IPC की इस इस धारा में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति के पहले विवाह को अदालत ने कानूनी रूप से खत्म कर दिया है, और वह व्यक्ति दोबारा विवाह करता तो वह अपराध नहीं माना जाएगा या फिर ऐसे पति या पत्नी जो सात साल से साथ नहीं रह रहे हैं और वह किसी और से अपने पहले विवाह के बारे में बता कर विवाह करते है तो उसे भी अपराध नहीं माना जाएगा

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IPC की धारा 495

इसके अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति धारा 494 में बताए गए नियम के खिलाफ जाकर दूसरा विवाह करता है यानि कि वो विवाह करने से पहले अपने दूसरे पार्टनर को अपने पहले विवाह के बारे में नहीं बताता है तो वह दोषी माना जाएगा। इस अपराध के लिए दोषी को १० साल की जेल और जुर्माना भी लगाया जा सकता है

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सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वह महिला जो दूसरी शादी की शिकार होती है, वह आईपीसी की धारा 494 के तहत पुरुष को अदालत में घसीटने की हकदार है, जो कि द्विविवाह को एक आपराधिक अपराध बनाता है, अधिकतम सात साल की जेल की सजा के साथ दंडनीय है

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द्विविवाह पर मुकदमा चलाने का आदेश

न्यायमूर्ति जेएम पांचाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आंध्र प्रदेश के एक पुलिसकर्मी पर द्विविवाह के आरोप में मुकदमा चलाने का आदेश दिया और पुलिसकर्मी की दलील को खारिज किया की दूसरी महिला द्वारा उसके खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि वह उसकी पहली शादी के निर्वाह के मद्देनजर कानूनी रूप से विवाहित पत्नी नहीं थी

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