समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code-UCC) का All India Muslim Personal Law Board ने विरोध किया और विधि आयोग को अपनी सभी आपत्तियां एक ड्राफ्ट के रूप में भेजी
Image Credit: my-lord.inAIMPLB के अनुसार UCC को लागू करते समय आदिवासियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को इसकी परिधि से बाहर रखना चाहिए, बुधवार को मुस्लिम बोर्ड ने एक वर्चुअल बैठक के बाद यह बयान जारी किया
Image Credit: my-lord.inविधि आयोग ने 14 जुलाई तक का समय दिया है कि अलग-अलग समुदाय UCC पर अपना मत बताएं और आपत्तियां दर्ज करें
Image Credit: my-lord.inAIMPLB के सचिव, मोहम्मद ने कहा कि राष्ट्रीय अखंडता, सुरक्षा और संरक्षण को सिर्फ तब संजोकर रखा जा सकता है जब हम देश की विविधता को बरकरार रखें. ऐसा तब होगा जब देश के अल्पसंख्यकों और आदिवासी समाज को उनके पर्सनल लॉ के आधार पर काम करने की अनुमति दी जाएगी
Image Credit: my-lord.inबोर्ड ने कहा कि मुस्लिम लोगों के व्यक्तिगत रिश्ते उनके पर्सनल लॉ द्वारा निर्देशित हैं; इन्हें सीधे कुरान (Holy Quran) और इस्लामिक कानूनों से लिया जाता है और यह उनकी पहचान से जुड़ा हुआ है, देश के संवैधानिक ढांचे के भीतर मुसलमान अपनी पहचान खोने को तैयार नहीं
Image Credit: my-lord.inबोर्ड ने का यह विभिन्न, धार्मिक संस्कृतियों के खिलाफ जाएगा, यह संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 29 में निहित धार्मिक मौलिक अधिकारों का हनन होगा, देश के लोकतान्त्रिक ढांचे पर इसका सीधा असर पड़ेगा और लैंगिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रीय एकता और अलग-अलग धर्मों के रीति-रिवाजों पर भी इसका असर पड़ेगा
Image Credit: my-lord.inदेश में UCC का मुद्दा तब उठा, जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा "आप मुझे बताएं, एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून कैसे हो सकता है? क्या वह घर चल पाएगा? तो फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना होगा कि संविधान में भी सभी के लिए समान अधिकार की बात कही गई है''
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