संपत्ति के लालच में हिस्सेदार वसीयत के साथ अक्सर छेड़छाड़ करते हैं जिससे बाकी के हिस्सेदारों के साथ नाइंसाफी होती है और घरों में विवाद भी हो जाता है. आपको शक होता है कि वसीयत के छेड़छाड़ किया गया है या यह अमान्य है या फिर आपको लगता है कि आपको जितना हक मिलना चाहिए उतना नहीं मिला है, तो आप वसीयत को कानूनी चुनौती दे सकते हैं
Image Credit: my-lord.inवसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जिसमे बताया जाता है कि कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा संपत्ति किसके नाम किया गया है या मरने के बाद संपत्ति पर किसका हक होगा. इसके अलावा शेयरों और संपत्ति का विभाजन आदि से संबंधित जानकारी को शामिल किया जाता है. इसे वैध कानूनी दस्तावेज बनाने के लिए भारतीय पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत कराना पड़ता है
Image Credit: my-lord.inवसीयतकर्ता की मृत्यु हो जाने के बाद, परिवार का कोई भी सदस्य अदालत से वसीयत का प्रोबेट प्राप्त कर सकता है. प्रोबेट विधि के द्वारा अदालत की मुहर के तहत एक वसीयत को प्रमाणित किया जाता है. प्रोबेट इस बात का निर्णायक सबूत है कि वसीयत को वैध रूप से निष्पादित किया गया था और यह वास्तविक और मृतक की अंतिम वसीयत है
Image Credit: my-lord.inअगर दस्तावेज़ पंजीकृत नहीं है, तो आप वसीयत को चुनौती दे सकते हैं. इसके लिए कुछ ऐसे आधार हैं जिन पर यदि वसीयत को चुनौती दी जाती है, तो इसके किसी भाग में या पूर्ण रूप को अमान्य किया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inवसीयत को चुनौती देने के लिए आपको सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करना होगा. दस्तावेज़ पंजीकरण से संबंधित सभी मामले भारतीय पंजीकरण अधिनियम की धारा 18 के तहत दायर किए जाते हैं. अदालत विरोधी पक्ष को कोर्ट में पेश होने के लिए एक नोटिस जारी करेगी और सुनवाई में यदि उसे लगा कि आपका आरोप सही है वसीयत पूरी तरह से या इसके कुछ हिस्सों को अमान्य करार कर दिया जाएगा
Image Credit: my-lord.inवह लोग जो मृतक की संपत्ति के वारिस होते हैं या उन्हें वारिस के रूप में नामित किया जाता है. मुख्य लाभार्थी वारिसों में बच्चे, पति-पत्नी, दादा-दादी, भाई-बहन और माता-पिता शामिल हैं. उत्तराधिकारी वसीयत का विरोध कर सकते हैं यदि उन्हें उनका सही हिस्सा नहीं मिलता है या विरासत से हटा दिया जाता है
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