कई बार पुलिस किसी मामले में किसी को सरकारी गवाह बना लेती है, इस शर्त पर कि उसकी सजा को कम कर दिया जाएगा या आरोपों से बरी कर दिया जाएगा
Image Credit: my-lord.inसंयुक्त रूप से किए गए किसी अपराध में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल किसी व्यक्ति को सरकारी गवाह बनाया जाता है
Image Credit: my-lord.inजब किसी गंभीर मामले में सबूत या कोई गवाह नहीं मिलता है तब अदालत क्षमादान का रास्ता अपनाती है
Image Credit: my-lord.inक्षमादान के बारे में दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure- CrPC ) की धारा 306 में बताया गया है. इसके अनुसार जो सह अपराधी होते हैं यानी जो किसी अपराध में शामिल होते हैं अगर वो सरकारी गवाह बन जाए तो उन्हे क्षमादान दिया जाएगा
Image Credit: my-lord.inन्यायालय क्षमादान के बदले सरकारी गवाह को मामले से संबंधित पूरी सच्चाई को अदालत में गवाह के रूप में बताने को कहती है. अगर सह अपराधी सच को बताने में सफल हो जाता है तो अदालत उसे क्षमादान देती है
Image Credit: my-lord.inइसका सबसे बड़ा उद्देश्य होता अपराधी को हर हाल में सजा दिलाना और पीड़ित को इंसाफ
Image Credit: my-lord.inभारतीय साक्ष्य अधिनियम ( Indian Evidence Act) की धारा 133 में यह बताया गया है कि किसी संयुक्त रूप से किए गए अपराध में सह अपराधी सक्षम गवाह होता है
Image Credit: my-lord.inधारा 306 के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट के पास इसका अधिकार होता है. क्षमादान हमेशा फैसला सुनाने से पहले दिया जाता है
Image Credit: my-lord.inवह अपराध जिसकी सुनवाई सेशन कोर्ट में हो रही है या जिन मामलों की सुनवाई दंड विधि संशोधन अधिनियम 1952 के अधीन नियुक्त विशेष न्यायाधीश के अदालत में हो रही हो या फिर ऐसे अपराध जिसकी सजा सात वर्ष या उससे अधिक हो
Image Credit: my-lord.inदिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दिल्ली आबकारी नीति घोटाला के एक मामले में आरोपी अरबिंदो समूह के शरत चंद्र रेड्डी को सरकारी गवाह बनने की अनुमति दे दी
Image Credit: my-lord.inप्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में रेड्डी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. वह सरकारी गवाह बनने वाला दूसरा शख्स है. पिछले साल नवंबर में शराब कारोबारी और मामले में आरोपी दिनेश अरोड़ा सरकारी गवाह बन गया था
Image Credit: my-lord.inरेड्डी ने अपने वकील के माध्यम से राउज एवेन्यू कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की थी जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया था कि उन्हें सरकारी गवाह बनने दिया जाए. अदालत ने इसकी अनुमति दी और मामले में उन्हें माफ भी कर दिया
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