न्यायाधीशों की पीठ में यदि दो जज एक ही मामले में अलग-अलग मत रखते हों और एकमत फैसला सुनाने में असक्षम हों, तो उनके वर्डिक्ट को 'खंडित फैसला' या 'स्प्लिट वर्डिक्ट' कहा जाता है
Image Credit: my-lord.inआमतौर पर यह तब होता है जब एक पीठ में न्यायाधीशों की संख्या ईवन नंबर में होती है इसलिए बड़े मामलों के लिए पीठ में जजों की संख्या ऑड नंबर में रखने की कोशिश की जाती है
Image Credit: my-lord.inयदि किसी मामले में 'खंडित फैसला' सुनाया जाता है तो मामला एक नई पीठ को सौंप दिया जाता है; जो पिछली पीठ से बड़ी होती है और इसमें आमतौर पर जजों की संख्या तीन या पांच होती है
Image Credit: my-lord.inहाईकोर्ट के मामलों में इस पीठ का गठन राज्य के मुख्य न्यायाधीश करते हैं और सुप्रीम कोर्ट के मामलों में यह पीठ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दवाता गठित होती है
Image Credit: my-lord.inकर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने खंडित फैसला सुनाया था जिसके बाद सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ से बड़ी पीठ के गठन की मांग की गई
Image Credit: my-lord.inमुंबई के सीरियल ब्लास्ट्स में दोषी याकूब मेमन की मृत्युदंड को चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस ए आर दवे और जस्टिस क्यूरिएन जोसेफ ने खंडित फैसला सुनाया; तब के सीजेआई एच एल दत्तू ने नई पीठ का गठन किया था
Image Credit: my-lord.inसामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अंतरिम राहत को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने स्प्लिट वर्डिक्ट दिया; फिर नई पीठ ने उन्हें अंतरिम राहत दी
Image Credit: my-lord.inतमिल नाडु मंत्री वी सेंथिल बालाजी की अंतरिम जमानत हेतु दायर याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट की जस्टिस निशा बानु और जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती ने खंडित फैसला सुनाया; अब नई पीठ का गठन हुआ है
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