भारतीय दंड संहिता की धारा 85 और धारा 86 में नशे के कारण किसी व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों से संबंधित प्रावधान के बारे में बताया गया हैं.
Image Credit: my-lord.inनशे में धुत व्यक्ति के कार्य को IPC की धारा 85 के तहत आपराधिक दायित्व से छूट दी गई है, जिसका अर्थ है कि आरोपी पर उसके द्वारा किए गए अपराध का आरोप नहीं लगाया गया है क्योंकि उसका यह कार्य आपराधिक नियत की अनुपस्थिति को दर्शाता है
Image Credit: my-lord.inIPC की धारा 86 के तहत, यदि व्यक्ति अपनी मर्जी से नशा करता है और फिर वह नशे में रहते हुए अपराध करता है तो वह अपने कार्य के लिए उत्तरदायी होगा और वह व्यक्ति IPC की धारा 85 के तहत बचाव की बात नहीं कर सकता
Image Credit: my-lord.inइस मामले में अदालत ने कहा कि कोई व्यक्ति अपनी मर्ज़ी से शराब का सेवन करके, नशे की हालत में कोई अपराध करता है तो वह व्यक्ति कोर्ट में आकर यह नहीं कह सकता है कि उसने शराब का सेवन किया था और इसलिए,उसे IPC की धारा 85 का लाभ मिलना चाहिए
Image Credit: my-lord.inअदालत ने आरोपी को अपनी पत्नी की हत्या का दोषी ठहराया, क्योंकि आरोपी को अपनी पत्नी को जलाने के बाद एहसास हुआ कि उसने क्या किया है और फिर वह आग बुझाने की कोशिश करता है इससे पता चलता है कि उसने नशे की हालत में जान बूझकर ये अपराध नहीं किया
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