हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दो तरह की शादियां

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 25 Jun, 2023

हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (The Hindu Marriage Act, 1955) की धारा 5 के तहत यह माना गया है कि हिंदू विवाह एक धार्मिक समारोह होने के साथ-साथ एक संस्कार भी है

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दो तरह के विवाह

हिंदू विवाह अधिनियम में शून्य विवाह (Void Marriage) और शून्यकरणीय विवाह (Voidable Marriage) के बारे में बात की गई है, जानिए इनकी परिभाषा और इनमें अंतर

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शून्य विवाह

'शून्य विवाह' यानी 'वॉइड मैरेज' के बारे में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 11 में बताया गया है; यह वो विवाह है जो चुनिंदा परिस्थितियों में बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के अमान्य मानी जा सकती है

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कब अमान्य होगी वॉइड मैरेज

बिना तलाक के दूसरी शादी अमान्य मानी जाएगी; कोई दंपति अपने रीति-रिवाजों के विपरीत किसी निषिद्ध रिश्ते में हैं तो वो रिश्ता माना नहीं जाएगा और सपिंड से शादी भी वॉइड मैरेज के तहत आएगी

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शून्यकरणीय विवाह

'शून्यकरणीय विवाह' यानी 'वॉइडेबल मैरेज' वो विवाह है जिसे तब खत्म किया जा सकता है जब एक अदालत इसे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12 के तहत शून्य करार देगी

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वॉइडेबल मैरेज की परिस्थितियां

तलाक तब मांगा जा सकता है जब दंपति के बीच शारीरिक संबंध न बने हों, जब कानून के तहत दी गई उम्र से पहले शादी करवा दी जाए, शादी के समय दूल्हा/दुल्हन की मानसिक हालत ठीक न हो या शादी के समय महिला किसी और के बच्चे के साथ गर्भवती हो

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वॉइड' और 'वॉइडेबल' विवाह में मूल अंतर?

जहां 'वॉइडेबल विवाह' वो है जिसे खत्म करने के लिए कानूनी प्रक्रिया को पूरा करना होता है वहीं 'वॉइड विवाह' में शादी को अमान्य करार देने के लिए तलाक की आवश्यकता नहीं होती है

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